विस्थापन आयोग जमीन पर उतरा, विस्थापितों की समस्याओं का होगा समाधान

रांची। झारखंड सरकार ने आखिरकार लंबे इंतजार के बाद राज्य में विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने आयोग की गठन, कार्य और दायित्व नियमावली 2025 को हरी झंडी दिखा दी। सरकार ने बताया कि झारखंड में अब तक विभिन्न परियोजनाओं जैसे एनएचएआई, एनटीपीसी, गेल, सीसीएल, बीसीसीएल और ईसीएल के कारण हजारों परिवार विस्थापित हो चुके हैं। इसके अलावा डैम और सिंचाई योजनाओं ने भी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जमीन-जायदाद छोड़ने पर मजबूर किया है। हालांकि अब तक भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास कानून 2013 के तहत अलग-अलग समितियां बनीं, लेकिन भू-अर्जन से प्रभावित लोगों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण राज्य में कभी व्यवस्थित तरीके से नहीं हुआ।

क्या करेगा आयोग

नवगठित आयोग का मुख्य कार्य विस्थापित परिवारों का सामाजिक और आर्थिक अध्ययन करना होगा। यह आयोग यह भी तय करेगा कि किन परिवारों या समुदायों को सामाजिक रूप से पिछड़ा मानकर विशेष सहयोग की जरूरत है। इसके अलावा आयोग पुनर्वास योजनाओं की योजना, समीक्षा और क्रियान्वयन पर नजर रखेगा तथा संबंधित विभागों को ठोस आंकड़े उपलब्ध कराएगा।

अध्यक्ष और सदस्य

आयोग का अध्यक्ष वह व्यक्ति होगा, जिसे विस्थापन और पुनर्वास के क्षेत्र में कम से कम 10 वर्षों का अनुभव हो। साथ ही, संयुक्त सचिव स्तर या उससे ऊपर के सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी सदस्य होंगे। जिला जज स्तर के विधि विशेषज्ञ आयोग में शामिल होंगे। सरकार की जरूरत समझने पर एसटी, एससी और ओबीसी समुदाय से भी तीन सदस्य नामित किए जाएंगे। इसके अलावा संबंधित जिले के उपायुक्त, जिला परिषद अध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख और पारंपरिक ग्राम प्रधान-मानकी-मुंडा आयोग का हिस्सा होंगे। राज्य सरकार का कहना है कि आयोग को नियमित रूप से अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा ताकि विस्थापित परिवारों की समस्याओं का समय पर समाधान हो सके। झारखंड में वर्षों से विस्थापन आयोग की मांग उठती रही है। अब जबकि आयोग जमीन पर उतर चुका है, विस्थापितों को उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और समस्याओं का स्थायी समाधान निकलेगा।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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