झारखंड… नाम लेते ही मन में एक चित्र उभरता है – हरे-भरे जंगलों का, लाल मिट्टी से सनी पगडंडियों का, पहाड़ों की ऊँचाईयों का और मेहनतकश आदिवासी समाज की संघर्षपूर्ण जिंदगी का। यह प्रदेश न सिर्फ खनिज संपदा से समृद्ध है बल्कि यहाँ की संस्कृति, परंपराएं और लोककथाएं भी उतनी ही रंगीन और जीवंत हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज का खजाना
झारखंड को प्रकृति ने दिल खोलकर नवाजा है। यहाँ के घने जंगल, झरने, पहाड़ और वन्य जीव इसे एक अनोखी पहचान देते हैं। नेतरहाट की घाटियाँ, हजारीबाग का जंगल, हुण्डरू फॉल्स, दशम फॉल्स और बेतला नेशनल पार्क जैसे स्थान यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य के उदाहरण हैं।
यह प्रदेश देश की कोयला, लोहा, बॉक्साइट, और यूरेनियम जैसी खनिज संपदाओं का बड़ा केंद्र है। देश के औद्योगिक विकास में झारखंड का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है।
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संघर्षों की धरती
यहाँ की धरती ने कई आंदोलन देखे हैं। संथाल विद्रोह, बीहड़ आंदोलन, और फिर झारखंड अलग राज्य आंदोलन, जिसने 15 नवंबर 2000 को इसे बिहार से अलग कर एक नया राज्य बना दिया। यह वही धरती है जहाँ बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, और फूलो-झानो जैसे महानायकों ने जन्म लिया और अत्याचार के खिलाफ बगावत की।
संस्कृति और लोककला
झारखंड की संस्कृति में आदिवासी गीत-संगीत, नृत्य और हस्तशिल्प की अहम भूमिका है। यहाँ के छऊ नृत्य, डोमकच, जाना नृत्य, और पाइका नृत्य पूरी दुनिया में मशहूर हैं। लोककलाओं में सोहराई पेंटिंग, कोहबर आर्ट और लोहा शिल्प प्रमुख हैं।
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झारखंड का भोजन
झारखंड का खानपान यहाँ की मिट्टी की तरह ही देसी और पौष्टिक है। धान, मड़ुआ, कुटकी, दाल, और जंगलों में पाए जाने वाले साग-पात यहाँ के लोगों की थाली में आम हैं। धुसका, पीठा, चुड़ा-दही, और हंडिया जैसे व्यंजन यहाँ की खास पहचान हैं।
️ आधुनिक विकास की ओर
आज झारखंड तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, हजारीबाग जैसे शहर औद्योगिक और शैक्षणिक हब बन रहे हैं। यहाँ आईआईटी, आईआईएम, और सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन साइंस जैसे संस्थान भी खुल चुके हैं।
झारखंड सिर्फ एक राज्य नहीं…यह संघर्षों की कहानी, संस्कृति की पहचान, और संवेदनाओं की जमीन है। यहाँ की मिट्टी में पसीने की खुशबू है, गीतों में दर्द और उल्लास दोनों है, और लोगों के दिलों में बदलाव की ललक।