राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखा जलवायु संकट और स्वच्छ ऊर्जा पर झारखंड का पक्ष

                सौरभ राय
संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

रांची:झारखंड से राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने लंदन स्थित लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पॉलीटिकल साइंस में आयोजित एक प्रतिष्ठित गोलमेज सम्मेलन में शिरकत किया। यह सम्मेलन लंदन में चल रहे “क्लाइमेट ऐक्शन वीक” के तहत आयोजित किया गया था, जिसका विषय था –क्या जलवायु कार्रवाई का भविष्य उप-राष्ट्रीय है?

बता दे,इस उच्चस्तरीय सम्मेलन में भारत के साथ-साथ इंडोनेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों के प्रतिनिधियों, नीति-निर्माताओं और वैश्विक परोपकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन का उद्देश्य ग्लोबल साउथ में ऊर्जा संक्रमण को गति देने के लिए व्यवहारिक अनुभवों, योजनाओं और साहसिक दृष्टिकोणों पर विचार करना था।

राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने झारखंड के संदर्भ में स्वच्छ ऊर्जा के लिए सरकारी प्रयास और जलवायु संकट को दूर करने के प्रयासों पर जोर देते हुए अपना वक्तव्य रखा

युक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए महुआ माजी ने झारखंड जैसे खनिज-समृद्ध राज्य में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और जलवायु संकट से निपटने के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा झारखंड, जहाँ एक ओर कोयला आधारित उद्योगों की ऐतिहासिक निर्भरता रही है, वहीं अब राज्य हरित ऊर्जा की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। सोलर पावर, जल संरक्षण, और वन आधारित जीवनशैली को पुनर्जीवित करने के प्रयास जलवायु न्याय की दिशा में झारखंड की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।महुआ माजी ने इस बात पर भी बल दिया कि उप-राष्ट्रीय स्तर (राज्य/क्षेत्रीय स्तर) पर निर्णय लेने और नीतियाँ लागू करने की स्वतंत्रता जलवायु संकट से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक है। उन्होंने झारखंड के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं और महिला समूहों की भूमिका को रेखांकित करते हुए स्थानीय स्तर पर हो रहे सतत विकास के कार्यों का ज़िक्र किया।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के बीच झारखंड की रही मौजूदगी
गोलमेज सम्मेलन में झामुमो से राज्यसभा सांसद महुआ माजी की उपस्थिति ने यह दर्शाया कि अब जलवायु परिवर्तन के वैश्विक विमर्श में भारत के छोटे राज्यों और उप-राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की भूमिका को भी गंभीरता से सुना और समझा जा रहा है। इस मंच पर झारखंड का प्रतिनिधित्व कर महुआ माजी ने राज्य की आकांक्षाओं, चुनौतियों और समाधान पर आधारित दृष्टिकोण को दुनिया के सामने प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

जलवायु न्याय और सामाजिक समावेश
राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने अपने वक्तव्य में जलवायु संकट को सामाजिक न्याय और आर्थिक समावेश से जोड़ते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव वंचित वर्गों पर पड़ता है। ऐसे में ऊर्जा संक्रमण की योजनाएँ बनाते समय सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को ध्यान में रखना जरूरी है।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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