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रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती

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जानिये कोन है रानी अहिल्याबाई होल्कर

संथाल हूल एक्सप्रेस सेंट्रल डेस्क
रानी अहिल्याबाई होल्कर (1725-1795) भारत के इतिहास में एक प्रमुख शासिका हं, जो मालवा क्षेत्र की रानी के रूप में जानी जाती हैं। इनके शासनकाल को न्याय, धर्म, और समाज सुधार के लिए जाना जाता है। आज, हम उनकी 300वीं जन्म जयंती मना रहे हैं, जो न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि उनके योगदान को याद करने का अवसर भी है।

जन्म और प्रारंभिक जीवन:
रानी अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई 1725 को अकोला, महाराष्ट्र में हुआ था। आठ साल की उम्र में, उन्हें मल्हार राव होल्कर द्वारा देखा गया, जिन्होंने बाद में उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उनके जीवन का यह मोड़ उनके लिए आगे चलकर एक महान शासिका बनने की ओर मार्ग प्रशस्त करने वाला साबित हुआ।

शासनकाल:
अहिल्याबाई ने 1767 में अपने पति की मृत्यु के बाद शासन संभाला। उनके शासनकाल में, उन्होंने कई सामाजिक और धार्मिक सुधार किए। उन्होंने कई मंदिरों, गंगा घाटों, और धर्मशालाओं का निर्माण कराया। रानी अहिल्याबाई को न्यायप्रियता और धर्म के प्रति लगन के लिए जाना जाता है। उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनके राज्य में सबके साथ समानता और न्याय हो।

ऐतिहासिक योगदान:

  • सामाजिक सुधार: रानी अहिल्याबाई ने सती प्रथा, बाल विवाह और जातिवाद जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध किया।
  • धार्मिक सहिष्णुता: उनका शासन विविध धर्मों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए प्रशासित था। उन्होंने हिन्दू, मुस्लिम और जैन धर्मों के बीच के सामंजस्य को प्रोत्साहित किया।
  • शिल्प और संस्कृति का संवर्द्धन: रानी ने कला, शिल्प और संस्कृतियों के विकास के लिए कई प्रोत्साहन दिए एवं उनके संरक्षण में योगदान किया।

300वीं जयंती का उत्सव:
इस वर्ष, रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती को बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है। कई संगोष्ठियों, समारोहों, और कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें उनके योगदान को सराहा जा रहा है। सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं विशेष आयोजनों और कार्यक्रमों के माध्यम से उनके नाम को जीवित रखने का कार्य कर रही हैं।


रानी अहिल्याबाई होल्कर की धरोहर हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अमिट हिस्सा है। उनकी जीने की शैली, प्रगतिशीलता और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उनकी 300वीं जन्म जयंती पर हम उन्हें न केवल एक महान शासिका के रूप में, बल्कि एक आदर्श के रूप में भी याद करते हैं।

इस विशेष दिन पर हम सभी को रानी अहिल्याबाई के सम्मान में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

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