रेखा कुमारी
साहिबगंज। जिले में गर्मी की शुरुआत होते ही पेयजल संकट ने ग्रामीणों को मुसीबत में डाल दिया है। अनेक गांवों में पेयजल के लिए लोग जूझ रहे हैं, जिसमें पहाड़िया गांव, सकरीगली का समदा सीज और चांगड़ो गांव शामिल हैं। यहां के निवासी पानी की सख्त कमी के चलते परेशान हैं, जिसकी मुख्य वजह सरकारी जल मीनारों में हुए व्यापक भ्रष्टाचार को बताया जा रहा है।
पीएचईडी विभाग से निर्मित जल मीनारों का हाल ऐसा है कि ये हाथी के दांत बनकर रह गए हैं। गांवों के लोगों को पानी के लिए प्रतिदिन कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि गंगा नदी पास होने के बावजूद वे बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
**स्थानीय निवासी एक ग्रामीण ने कहा, “एक साल पहले सरकारी योजना के तहत विभाग ने आधा दर्जन जल मीनार बनवाए थे, लेकिन निर्माण के बाद से ही उन्हें कोई पानी नहीं मिल रहा।” ठेकेदारों की लापरवाही और शिकायतों के बावजूद जल मीनारों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
ग्रामीणों को पुराने चापाकलों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। कई चापाकल खराब हो चुके हैं, और स्थानीय लोग अपने खर्च पर नए चापाकल बनाने के लिए मजबूर हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया गया है, लेकिन विसंगतियों का समाधान अभी तक नहीं हुआ है।
जिले के चांगड़ो, करमपहाड़, पचरुखी, पोखरिया और अन्य पहाड़ी गांवों में गर्मियों में जल स्रोत सूखने की वजह से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। वर्तमान में जिले में 432 पहाड़िया गांव हैं, जिनमें से कई गांव पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं।
बोरियो संथाली में पाइपलाइन के पानी ठप होने से ग्रामीणों की दिक्कतें और बढ़ गई हैं। करम पहाड़ में पाइपलाइन का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है, जिसका कोई फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। ठेकेदार कार्य धीमी गति से कर रहे हैं, जबकि लोगों को पानी की आवश्यकता है।
साहिबगंज के ग्रामीणों की यह स्थिति सरकार के किए गए जल प्रबंधन के दावों के विपरीत है। स्पष्ट है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में यह संकट और भी गहरा हो सकता है। सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या का समाधान निकाले और ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए।
यह संकट जल प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन की चुनौतियों को उजागर करता है, जो ग्रामीण विकास की राह में बाधा उत्पन्न कर रहा है।