पाकुड़ संवाददाता
कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पाकुड़ जिले के महेशपुर प्रखंड के सीतारामपुर गांव की कोनिका कोड़ाइन ने। एक समय सिर्फ गृहणी की भूमिका निभाने वाली कोनिका दीदी आज तकनीकी खेती के माध्यम से न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं।
वर्ष 2021 में कोनिका दीदी ने सागेन साकाम आजीविका सखी मंडल से जुड़कर अपने जीवन की दिशा बदली। हर सप्ताह 10-10 रुपये की छोटी बचत से उन्होंने शुरुआत की और फिर धीरे-धीरे झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) अंतर्गत जेआईसीऐ परियोजना** से जुड़कर खेती में तकनीकी सहायता प्राप्त की।
तकनीकी खेती से मिली बड़ी सफलता
कोनिका दीदी को जेआईसीए परियोजना के तहत सूक्ष्म टपक सिंचाई यंत्र, बर्मी कंपोस्ट यूनिट और पॉली नर्सरी हाउस की सुविधा मिली। इसके साथ ही उन्हें रांची में एक्सपोजर विजिट और फील्ड ट्रेनिंग का अवसर मिला, जहां उन्होंने प्रगतिशील किसानों से तकनीकी खेती का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया।
सीखी गई तकनीकों को अपने खेतों में उतारते हुए उन्होंने 25 डिसमिल जमीन में तरबूज (कलश F1 किस्म) और खीरा (डीईबी 1506 किस्म) की खेती की। कुल 12,000 रुपये की लागत से उन्होंने अभी तक 8 क्विंटल खीरा 40 रुपये प्रति किलो और 9.5 क्विंटल तरबूज 20 रुपये प्रति किलो की दर से बेचकर 51,000 रुपये की आमदनी प्राप्त की है। फसल समाप्ति तक कुल 30,000 रुपये अतिरिक्त आमदनी की संभावना है।
आत्मविश्वास से भरपूर कोनिका दीदी की नई योजना—-
कोनिका दीदी अब अपनी खेती का विस्तार करते हुए 50 डिसमिल जमीन पर मिर्च की खेती करने की योजना बना रही हैं। उनका कहना है कि “समूह से जुड़ने के बाद मेरी ज़िंदगी बदल गई। अब मैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाने की सोच रही हूं।”
वह अन्य महिलाओं को भी तकनीकी खेती की ओर प्रोत्साहित कर रही हैं और कहती हैं कि “अगर हम ठान लें, तो गांव में रहकर भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं।”