ऑपरेशन सिंदूर पर विवाद: अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी

संथाल हूल एक्सप्रेस सेंट्रल डेस्क

नई दिल्ली: हाल ही में, भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के उद्देश्य से आयोजित ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की विवादास्पद टिप्पणियों के बाद उन्‍हें गिरफ्तार किया गया है। यह आरोप लगाया गया है कि उनकी टिप्पणियों ने सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दिया और ऐसी टिप्पणियाँ की गईं जो भारतीय सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों का अपमान करती हैं।

ऑपरेशन सिंदूर का महत्व

ऑपरेशन सिंदूर, जो हाल ही में शुरू हुआ, का उद्देश्य पाकिस्तान के आतंकियों के ठिकानों पर कारवाई करना था, जिसमें भारतीय सेना ने सुरक्षा प्रयासों को मज़बूत करते हुए इस दखल को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन के संदर्भ में महिला अधिकारियों द्वारा किए गए मीडिया ब्रीफिंग को महमूदाबाद ने “दिखावा और पाखंड” बताया, जिसकी प्रतिक्रिया में हरियाणा राज्य महिला आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया।

गिरफ्तारी और प्रतिक्रिया

महमूदाबाद की गिरफ्तारी के बाद, हरियाणा राज्य महिला आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी टिप्पणियों ने न केवल महिला अधिकारियों को कमतर आंका, बल्कि यह भी सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने का कार्य किया। आयोग ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की और महमूदाबाद की टिप्पणी को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया।

एक बयान में, महिला आयोग ने कहा कि “इस तरह की टिप्पणियाँ भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका को कमतर आंकने वाली हैं और यह सांप्रदायिकता को बढ़ावा देती हैं।”

महमूदाबाद का बचाव

हालांकि, अली खान महमूदाबाद ने अपनी गिरफ्तारी के बाद एक बयान दिया जिसमें उन्‍होंने कहा कि उनकी टिप्पणियाँ महिला विरोधी नहीं थीं और उनके विचारों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्‍होंने कहा, “मैंने जो कुछ भी कहा, वह किसी भी तरह से महिला अधिकारियों या कार्यों के खिलाफ नहीं था। मुझे सेंसर किया जा रहा है, और आयोग के पास इस संदर्भ में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।”

महमूदाबाद ने यह भी कहा कि आयोग के नोटिस के साथ संलग्न किए गए स्क्रीनशॉट यह स्पष्ट करते हैं कि उनकी टिप्पणियाँ पूरी तरह से गलतफहमी का परिणाम हैं और उन्‍हें सही तरीके से समझा नहीं गया है।

यह मामला भारतीय समाज में संवेदनशील विषयों को उजागर करता है, जहाँ एक ओर भारत अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है, वहीं दूसरी ओर, सामूहिकता और सही सोच के प्रति भी जनता की जिम्मेदारी है। महमूदाबाद की गिरफ्तारी और उनके बयानों पर उठे विवाद ने यह सवाल उठाया है कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच एक संतुलन स्थापित किया जा सकता है।

इस विषय पर आगे की प्रतिक्रियाएँ और रुख महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि यह संकट और विवाद की स्थितियों में अभिव्यक्ति की सीमाओं को चुनौती देता है।

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