शिव कुमार तिवारी
चतरा चतरा जिला बहुत हद तक सरकारी योजनाओं पर निर्भर करता है। नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में जो हुआ वह सर्वविदित है। मीरजाफर और जयचंद जैसे लोगों ने अपनी रोटी सेंकने के फ़िराक़ में विवाद को हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिणामस्वरूप, जिले का अपेक्षित विकास प्रभावित हुआ। मीरजाफर और जयचंद जैसे लोगों के सक्रियता के कारण जिले की सम्भावित विकास बहुत हद तक प्रभावित हुआ है। इससे चतरा को काफी नुकसान हुआ। तत्कालीन डीसी रामबृक्ष महतो ने मीरजाफर और जयचंद जैसे लोगों की बातों को नजरअंदाज कर चतरा जिले के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लंबे समय के बाद चतरा में 1992 जैसी स्थिति देखने को मिली। इसके कारण चतरा के लोगों को अपूरणीय क्षति हुई।नये वित्तीय वर्ष में जिले के विकास को गति देने की जरूरत है। डीसी अबू इमरान ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। सरकारी नुमाइंदों और जनप्रतिनिधियों को समन्वय स्थापित कर चतरा को निर्विवाद रूप से विकास के पथ पर ले जाने की आवश्यकता है। 1857 ई. में सूबेदार जयमंगल पांडेय और नादिर अली शाह के नेतृत्व में सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों ने चतरा की धरती पर अपने प्राणों की आहुति दी थी। राजाराम मोहन राय जैसे समाज सुधारकों ने भी अपने योगदान से चतरा को नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चतरा के इतिहास में दर्जनों ऐसे नाम शामिल हैं जिन पर चतरा को गर्व है। चतरा एक ऐतिहासिक स्थान है. अच्छे कार्य करने वाले लोगों को हमेशा याद रखा जाता है। वर्तमान में समन्वय स्थापित कर चतरा को सुंदर बनाने तथा विकसित जिलों में शामिल करने के लिए रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता है।