
सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से नवाजे गए दिलीप कुमार, डीआरएम ने ओढ़ाया शॉल और दिया प्रशस्ति पत्र
संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता जितेंद्र सेन, साहिबगंज।
मालदा रेल मंडल के एक सजग ट्रैक मेंटेनर (की-मैन) दिलीप कुमार की असाधारण सतर्कता और कर्तव्यनिष्ठा ने एक संभावित भीषण रेल दुर्घटना को टालकर सैकड़ों यात्रियों की जान बचा ली। इस महत्वपूर्ण भूमिका के लिए गुरुवार को रेलवे प्रशासन ने उन्हें सम्मानित किया।
यह घटना बीते बुधवार तड़के की है, जब दिलीप कुमार सुबह करीब 4 बजे कल्याणचक स्टेशन से लगभग 500 मीटर की दूरी पर अपनी नियमित रात्रि गश्त पर थे। इसी दौरान पोल संख्या 198/38 के पास ट्रैक की क्रॉसलाइन से उनकी नज़र पड़ी तो उन्होंने देखा कि रेलवे ट्रैक को जोड़ने वाली लगभग 30 पेंड्रोल ई-क्लिप्स गायब थीं और कुछ ढीली पड़ी हुई थीं। ये क्लिप्स पटरी की पट्टियों को मजबूती से जोड़े रखने का काम करती हैं और इनके गायब होने से पटरी खुल सकती थी, जिससे ट्रेन पटरी से उतरने जैसी गंभीर दुर्घटना हो सकती थी। तुरंत कार्रवाई करते हुए दिलीप कुमार ने तत्काल स्टेशन मास्टर गोपाल साहा को सूचना दी। इस सूचना के आधार पर, साहिबगंज-हावड़ा इंटरसिटी एक्सप्रेस को तालझारी स्टेशन पर ही रोक दिया गया। इस त्वरित कार्रवाई ने एक बड़े हादसे को होने से रोक दिया।
इस घटना को संभावित तोड़फोड़ या संगठित चोरी की साजिश मानते हुए रेलवे प्रशासन ने मौके पर मालदा मंडल, आरपीएफ और जीआरपी की वरिष्ठ अधिकारियों की टीमें भेजीं और इलाके में सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी। दिलीप कुमार की इस उल्लेखनीय सतर्कता और जिम्मेदारी को सम्मान देते हुए, पूर्व रेलवे के मालदा डिवीजन ने गुरुवार को एक समारोह आयोजित किया। इस दौरान डिवीजनल रेल मैनेजर (डीआरएम) मनीष कुमार गुप्ता ने दिलीप कुमार को ‘सर्वशा पुरस्कार’ से सम्मानित किया। उन्होंने दिलीप को शॉल ओढ़ाकर और प्रशस्ति पत्र देकर उनके योगदान की सराहना की।
डीआरएम मनीष कुमार गुप्ता ने कहा, “दिलीप कुमार जैसे कर्मठ और जिम्मेदार कर्मचारी ही भारतीय रेलवे की रीढ़ हैं। उनकी सतर्कता से हम सभी को गर्व महसूस हो रहा है। ऐसे कर्मचारी यह सुनिश्चित करते हैं कि रेलवे सुरक्षित और विश्वसनीय बनी रहे।”
कौन होते हैं की-मैन? रेलवे के अनसुने सिपाही
ट्रैक मेंटेनर, जिन्हें की-मैन के नाम से जाना जाता है, भारतीय रेलवे के वे अनाम हीरो हैं जो दिन-रात चरम मौसमी परिस्थितियों में भी रेलवे ट्रैक की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। ये कर्मचारी प्रतिदिन 10 से 14 किलोमीटर तक पैदल चलकर ट्रैक का निरीक्षण करते हैं और रेल फ्रैक्चर, क्लिप के टूटने या ढीले होने, वेल्डिंग में दोष जैसी मामूली लेकिन गंभीर गड़बड़ियों का पता लगाते हैं। दिलीप कुमार बारहरवा खंड में तैनात हैं और एसएसई/पीडब्ल्यू (सीनियर सेक्शन इंजीनियर/पर्मानेंट वे) के अधीन कार्यरत हैं। वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों का मानना है कि एक छोटी सी क्लिप भी पूरे ट्रैक के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण होती है जितना कोई बड़ा हिस्सा। 30 क्लिपों का एक साथ गायब होना किसी बड़ी अनहोनी की ओर इशारा कर रहा था, लेकिन दिलीप कुमार की समय रहते की गई जांच ने मालदा डिवीजन को एक बड़ी त्रासदी से बचा लिया।