चैती छठ महापर्व का अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया छठव्रती

रांची में छठ पूजा के चार दिवसीय महापर्व का तीव्र उत्साह और धार्मिक श्रद्धा के साथ आयोजन किया जा रहा है। आज, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का तीसरा दिन है, जिसमें व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अपने श्रद्धा-भाव से अर्घ्य अर्पित किया। यह महत्वपूर्ण अवसर धन, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए मनाया जाता है।

अर्घ्य की महत्ता

व्रतियों ने दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को तालाब, नदी या किसी जलाशय में जाकर सूर्य की उपासना की। इस वर्ष, सूर्य का अस्त होना शाम 06 बजकर 05 मिनट पर हुआ, जिसके समय व्रती ने तांबे के लोटे में दूध और गंगा जल मिलाकर सूर्य देवता को अर्घ्य दिया। शास्त्रों के अनुसार, अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है और यह प्रथा केवल छठ पूजा तक सीमित है।

सूर्य की उपासना और श्रद्धा

अक्टूबर 2023 के अनुसार, यह मान्यता है कि अस्ताचलगामी सूर्य, जो दिन के अंत में प्रत्यूषा के साथ वास करते हैं, उनकी पूजा की जाती है। व्रती ने इस अवसर पर तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित किया, जो स्वास्थ्य और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन के माध्यम से व्रती न केवल अपने परिवार की भलाई की कामना करते हैं बल्कि समाज में एकता और सद्भावना का संदेश भी फैलाते हैं।

उत्सव का अगला चरण

आज का अर्घ्य कार्यक्रम महापर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और चौथे दिन, 4 अप्रैल को उदीयमान सूर्य को भी अर्घ्य देने की परंपरा है। इस दिन सूर्योदय सुबह 05 बजकर 38 मिनट पर होगा, जिसके साथ ही चार दिवसीय इस महापर्व का समापन होगा।

व्रती एवं श्रद्धालु इस पर्व में न केवल धार्मिक आस्था को प्रस्तुत करते हैं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की एक अनूठी छवि भी प्रस्तुत करता है, जिसमें प्रकृति के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।

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