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राज्य सरकार की असफल नीतियों से झारखंड की सरकारी शिक्षा व्यवस्था चौपट: राफिया नाज़

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संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

रांची:झारखंड में शिक्षा के स्तर में निरंतर गिरावट और सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में कमी को लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राफिया नाज़ ने राज्य सरकार की नीतियों पर कड़ी आलोचना की। राफिया ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में लगभग नौ लाख छात्रों की संख्या घटने से राज्य के भविष्य पर गहरा संकट आ खड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा, “पिछले तीन वर्षों में राज्य के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में लगभग नौ लाख की कमी आई है। यह स्थिति न केवल झारखंड के विकास को प्रभावित कर रही है, बल्कि हमारे बच्चों के उज्जवल भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा रही है, साथ ही राज्य सरकार की नाकामी को भी उजागर कर रही है।”

उन्होंने बताया कि यूडीआईएसई रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 में जहां 79,70,050 बच्चे नामांकित थे, वही 2022-23 में यह घटकर 72,09,261 और 2023-24 में केवल 70,97,545 रह गए हैं। इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें शिक्षकों की कमी, स्कूलों में सुविधाओं का अभाव और शिक्षा के लिए बजट में की गई कटौती प्रमुख कारण हैं।

उन्होंने कहा कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। झारखंड में लाखों छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड की कमी के कारण कक्षा छोड़नी पड़ती है। यह समस्या शिक्षा में एक बड़ी रुकावट का कारण बनती है, क्योंकि सेनेटरी पैड की अनुपलब्धता के कारण कई छात्राएं पेट दर्द के चलते स्कूल छोड़ देती हैं। यह राज्य सरकार की नाकामी को दर्शाता है, क्योंकि इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है और छात्राओं को विद्यालय में सैनिटरी पैड्स उपलब्ध कराने में भी सरकार असफल है, जो कि यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है।

राफिया नाज ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शिक्षा बजट में कटौती भी एक और गंभीर समस्या है। झारखंड सरकार ने शिक्षा के बजट में भारी कटौती की है, जो राज्य में शिक्षा के स्तर को और गिरा देगा। 2025-2026 के लिए उच्च शिक्षा का बजट घटाकर 640 करोड़ कर दिया गया है, जबकि 2024-2025 में यह 700 करोड़ था। वहीं, प्राथमिक शिक्षा के लिए बजट में भी 1279.96 करोड़ की कमी की गई है। यह कटौती बच्चों के भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। राज्य सरकार को शिक्षा विभाग को दुरुस्त करने की आवश्यकता है विद्यार्थियों को उचित शिक्षा मिले यह जिम्मेदारी सिर्फ सिर्फ और सिर्फ सरकार की है।

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