राज्यस्तरीय कला उत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ

कला संस्कृति से जुड़े लोग हमेशा खुश रहते हैं : अजय नाथ शाहदेव, अध्यक्ष, झारखंड राज्य क्रिकेट संघ

बच्चों को कला और संस्कृति में रुचि है तो उन्हें अवश्य प्रोत्साहित किया जाना चाहिए : शशि रंजन, झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक

झारखंड में सांस्कृतिक उलगुलान की आवश्यकता है : सुरेन्द्र सोरेन, अध्यक्ष, झारखंड प्रेस क्लब

जो कला संस्कृति से जुड़ा नहीं है, उसका जीवन शून्य के समान है : पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख

कला उत्सव केवल रंगों का खेल नहीं, यह मनुष्य की आत्मा की भाषा है : धीरसेन ए. सोरेंग, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, जेईपीसी

रांची : स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार के तत्वावधान में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा झारखंड शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी), रातू में 6 अक्टूबर 2025 को राज्य स्तरीय कला उत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ किया गया। इस प्रतियोगिता में राज्य के सभी 24 जिलों से लगभग 700 प्रतिभागी शामिल हुए, जिन्होंने संगीत गायन, नृत्य, वादन, दृश्य कला, पारंपरिक कथा वाचन एवं नाटक सहित 12 विभिन्न कला विधाओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी धीरसेन ए. सोरेंग ने मुख्य अतिथि अजय नाथ शाहदेव, अध्यक्ष झारखंड राज्य क्रिकेट संघ सहित सभी विशिष्ट अतिथियों का पौधा, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। अपने संबोधन में अजय नाथ शाहदेव ने कहा कि कला और संस्कृति से जुड़े लोग हमेशा खुश रहते हैं, क्योंकि कला बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाती है और व्यक्तित्व विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। राज्य परियोजना निदेशक शशि रंजन ने कहा कि बच्चों में यदि कला संस्कृति के प्रति रुचि है, तो उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। नई शिक्षा नीति में बच्चों के रचनात्मक विकास पर विशेष बल दिया गया है और विभाग का यह प्रयास है कि सरकारी विद्यालयों के प्रतिभाशाली बच्चों को कला मंच के माध्यम से अवसर मिल सके। कार्यक्रम में पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने कहा कि जो व्यक्ति कला और संस्कृति से जुड़ा नहीं है, उसका जीवन शून्य के समान है। कला व्यक्ति के जीवन में संवेदना और सृजनशीलता का संचार करती है। वहीं झारखंड प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र सोरेन ने कहा कि झारखंड में सांस्कृतिक उलगुलान की आवश्यकता है, जिससे राज्य की परंपरा और लोक संस्कृति को नई दिशा मिल सके। स्वागत भाषण में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी धीरसेन ए. सोरेंग ने कहा कि कला केवल रंगों का खेल नहीं है, यह मनुष्य की आत्मा की भाषा है। आप सभी प्रतिभागियों के भीतर भविष्य के कलाकार, संगीतज्ञ और नर्तक छिपे हैं। आपकी मेहनत और लगन ही झारखंड की पहचान बनेगी और राज्य का गौरव बढ़ाएगी।
कार्यक्रम में उपनिदेशक जेसीईआरटी, प्रदीप कुमार चौबे, विंध्याचल पांडेय, सहायक निदेशक बाके बिहारी सिंह, मसूदी टुडू, मनपुरन नायक सहित राज्यभर के कलाकार, शिक्षक और अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन उत्सव के समन्वयक चन्द्र देव सिंह ने किया। प्रतियोगिता के विभिन्न विधाओं में विजेताओं का चयन किया गया। स्टोरी टेलिंग समूह प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर पूजा कुमारी (देवघर), द्वितीय स्थान पर राजनंदनी कुमारी एवं रिकी कुमारी (चतरा) और तृतीय स्थान पर बुशरा तहूर एवं तनु कुमारी (रांची) रहीं। विजुअल आर्ट्स मूर्ति कला में प्रथम देव कुमार (सरायकेला), द्वितीय पीयाली महतो (पूर्वी सिंहभूम) और तृतीय प्रिंस कुमार (हजारीबाग) रहे। विजुअल आर्ट्स चित्रकला में प्रथम सत्यम (देवघर), द्वितीय नफीसा परवीन (हजारीबाग) और तृतीय बादल नायक (सिमडेगा) को स्थान मिला। स्वदेशी खिलौना निर्माण प्रतियोगिता में प्रथम चंद्रमा सिंह एवं करना शाहू (सिमडेगा), द्वितीय ऋषि कुमार नायक (रामगढ़) और तृतीय दिव्या कुमारी एवं सिमरन कुमारी (हजारीबाग) रही।
समूह वाद्य संगीत में रांची प्रथम, रामगढ़ द्वितीय और बोकारो तृतीय स्थान पर रहा। एकल नृत्य में दृष्टि चटर्जी (साहिबगंज) प्रथम, दीपिका चंद्रा (पाकुड़) द्वितीय और राजनंदनी (रांची) तृतीय रहीं। एकल वाद्य संगीत में रूमा साहा (पाकुड़) प्रथम, शौर्य राज (हजारीबाग) द्वितीय और अंशु कुमार (पूर्वी सिंहभूम) तृतीय स्थान पर रहे। एकल वाद्य वादन प्रतियोगिता में राजप्रीत सिंह (पूर्वी सिंहभूम) प्रथम, दयामणि कुजूर (गुमला) द्वितीय और आदित्य सहदेव (लोहरदगा) तृतीय रहे। समूह स्वर संगीत में बोकारो प्रथम, पूर्वी सिंहभूम द्वितीय और रांची तृतीय स्थान पर रहा। क्षेत्रीय समूह नृत्य में पूर्वी सिंहभूम ने प्रथम, रांची ने द्वितीय और दुमका ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। समूह नाटक (ड्रामा) में रांची प्रथम, बोकारो द्वितीय और रामगढ़ तृतीय स्थान पर रहे। एकल स्वर संगीत प्रतियोगिता में साक्षी दुबे प्रथम, दानवी कौशल (रामगढ़) द्वितीय और अनन्या भारद्वाज (देवघर) तृतीय स्थान पर रहीं।
कला उत्सव 2025 ने एक बार फिर यह साबित किया कि झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर बच्चों की रचनात्मकता और परंपरा के संगम से और भी प्रखर बन रही है। यह आयोजन न केवल विद्यार्थियों की प्रतिभा को मंच प्रदान करता है, बल्कि राज्य के सांस्कृतिक गौरव को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाने का माध्यम बन रहा है। सभी विजेता प्रतिभागियों को मुख्यमंत्री झारखंड हेमंत सोरेन, शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह, निदेशक झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद रांची शशि रंजन, प्रशासनिक पदाधिकारी सच्चिदानंद द्विवेदी तिग्गा, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी धीरसेन ए. सोरेंग तथा खेल कोषांग के सभी सदस्यों ने हार्दिक बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दी हैं।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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