कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने वाला विधेयक सदन में पारित: गरीब छात्रों को मिलेगी राहत

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

रांची:कोचिंग संस्थानों की मनमानी और शोषण पर लगाम कसने के लिए संसद से पारित नया विधेयक शिक्षा जगत में पारदर्शिता और अनुशासन स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगा। इस फैसले को लेकर पब्लिक स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि यह गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की बड़ी जीत है।

आलोक दूबे के मुख्य बयान

“कोचिंग माफियाओं पर संसद का करारा प्रहार हुआ है। गरीब बच्चों को राहत मिलेगी।”

“अब झूठे वादों और मनमाने शुल्क से छात्रों और अभिभावकों को मुक्ति मिलेगी।”

“शिक्षा में पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर यह बड़ा कदम है।”

आलोक दूबे ने कहा कि यह कानून छात्रों और अभिभावकों के लंबे संघर्ष का नतीजा है। अब कोचिंग संस्थानों को अपनी वास्तविक सफलता दर और उपलब्धियां सार्वजनिक करनी होंगी।
गरीब और पिछड़े वर्ग को बड़ी राहत
उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे राज्यों में गरीब, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसी कठिन परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों पर निर्भर रहते हैं। कई बार परिवार अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए खेत-खलिहान तक बेच देते हैं, लेकिन मनमानी फीस और झूठे दावों के चलते अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते। नए कानून से इस तरह का शोषण अब रुक सकेगा।

विद्यार्थियों का मानसिक दबाव भी घटेगा
आलोक दूबे ने कहा कि इस कानून से बच्चों पर अनावश्यक मानसिक बोझ कम होगा। कोचिंग संस्थानों की जवाबदेही तय होगी और शिक्षा का व्यवसायीकरण थमेगा।

मुख्यमंत्री और पासवा संरक्षक का आभार जताया गया
आलोक दूबे ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पासवा के मुख्य संरक्षक डॉ. रामेश्वर उरांव को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके प्रयासों से यह ऐतिहासिक कानून संभव हो पाया है। झारखंड विधानसभा ने पूरे देश के लिए कोचिंग सेंटर नियमन कानून बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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