रांची। 10 जुलाई 2025।
सरला बिरला विश्वविद्यालय (एसबीयू) में आज गुरु पूर्णिमा पर्व बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित विशेष कार्यक्रम में विद्यार्थियों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय प्रशासन के सदस्यों ने गुरु-शिष्य परंपरा का गौरवगान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के माननीय महानिदेशक प्रो. गोपाल पाठक ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु ही व्यक्ति को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। उन्होंने कई प्रेरक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि गुरु के बिना जीवन में सफलता, शांति और प्रगति संभव नहीं है।
कुलपति प्रो. सी जगनाथन ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि गुरु का मार्गदर्शन ही व्यक्ति को अच्छे संस्कार और समाज में सकारात्मक योगदान देने की प्रेरणा देता है। उन्होंने सत्संगति के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि अच्छे साथ से व्यक्तित्व का विकास होता है।
भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र की डीन प्रो. नीलिमा पाठक ने अपने वक्तव्य में भारतीय संस्कृति में गुरु की महिमा और गुरु-शिष्य परंपरा की विशेषता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गुरु के बताए मार्ग पर चलकर ही सुखी, संपन्न और सफल जीवन जिया जा सकता है।
वरिष्ठ शिक्षक डॉ. आर एम झा ने अपने संबोधन में वर्तमान समय में फैली समस्याओं पर चर्चा करते हुए गुरु की भूमिका को समाधान का प्रमुख माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि गुरु के उपदेश और शिक्षाएं जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देती हैं।
इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. एस बी डांडिन, डॉ. अर्चना मौर्या, डॉ. संदीप कुमार, डॉ. विश्वजीत वर्मा, पंकज केसरी, डॉ. स्वातिलेखा महतो, सुजीत सेनगुप्ता, स्पर्श उपाध्याय सहित विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक एवं कर्मचारीगण भी उपस्थित रहे।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर एसबीयू के माननीय प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान एवं राज्यसभा सांसद डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा ने सभी गुरुजनों को शुभकामनाएं देते हुए गुरुजनों के योगदान की सराहना की और विद्यार्थियों को गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का संदेश दिया।
कार्यक्रम का समापन गुरु वंदना और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कुल मिलाकर यह आयोजन गुरु-शिष्य संबंध को मजबूती प्रदान करने और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने का अनुपम प्रयास रहा।