प्राणायाम का मंत्र: तन स्वस्थ, मन शांत, जीवन संतुलित : बिजय चौरसिया

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को धूम धाम से मनाया गया जमुआ में

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

गिरिडीह : शनिवार को विश्व योगा दिवस के अवसर पर जमुआ में भी योग प्राणायाम की धूम रही। 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रखंड के विभिन्न स्थानों पर योग सत्रों का आयोजन किया गया। सुबह के समय मैदानों, स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों में हजारों लोगों ने योगाभ्यास में हिस्सा लिया। मुख्य आयोजन जमुआ प्रखंड परिसर में संपन्न हुआ, जहां योग प्रशिक्षक सह भाजपा प्रदेश प्रवक्ता बिजय चौरसिया ने लोगों को सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करवाया। विभिन्न प्राणायामों और आसनों का महत्व और लाभ बताया। शनिवार अहले सुबह सुमधुर संगीत के बीच द्वीप प्रज्वलन के साथ योग प्राणायाम के अभ्यास की शुरुआत की गई। मौके पर जमुआ प्रमुख मिष्टू देवी, जमुआ बीडीओ अमलजी, सीओ संजय पांडेय, प्रमुख प्रतिनिधि संजीत यादव, उपप्रमुख रब्बुल हसन रब्बानी, 20सूत्री अध्यक्ष मो. जुनैद आलम, जिप सदस्य संजय हज़रा, झामुमो प्रखंड अध्यक्ष व मुखिया रंजीत राम, बीपीआरओ शहदेव महतो, बीपीओ राजकुमार हेम्ब्रम, गणेश कुमार, भाजपा नेता राजेन्द्र राय, केदार यादव, मो. शाहिद, पसंस अंजन सिन्हा, मो. बेलाल उद्दीन, मनोज पंडा, मो. सद्दाम अंसारी, नीरज कुमार, मुंशी वर्मा, रंजीत मंडल, सुखदेव यादव, मो. इकबाल, विकास यादव, बद्री यादव, पीएलए हीरा देवी, सुबोध साव, जेएसएलपीएस समन्वयक वशिष्ट सिंह, ख्वाजा मेहर हुसैन, प्रखंड समन्वयक नीरज कुमार, सुधीर कुमार, सोनू कुमार, जितेंद्र सिंह, जेई सुमंत कुमार, हिमांषु शेखर सहित सैकड़ों लोगों ने एक साथ योग प्राणायाम के समुद्र में डुबकी लगाई। इस क्रम में प्रशिक्षक बिजय चौरसिया ने कहा, योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि तनावमुक्त जीवन जीने में भी मदद करता है। लोगों को महाभास्त्रिका, कपालभाति, अग्निसार, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ और महाप्राणायम का अभ्यास क्रमवार कराया गया। बीच बीच में सूक्ष्म व्यायाम और कई आसनों का भी अभ्यास करवाया गया। बताया कि महाभास्त्रिका प्राणायाम जहां फेफड़ों को मजबूती प्रदान करता है, अस्थमा में लाभप्रद है वहीं मानसिक तनाव और अवसाद को भी कम करता है। शरीर के एक एक अंग में ऑक्सीजन पहुंचाता है। कपालभाति प्राणायाम करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ता है श्वसन तंत्र को साफ और स्वच्छ रखता है। फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और श्वसन तंत्र को साफ करता है। पाचन सुधारता है, कब्ज और गैस की समस्या को कम करता है। कपालभाति मेटाबॉलिज्म तेज करता है, जो वजन नियंत्रण में मदद करता है। उन्होंने बताया कि यह प्राणायाम मस्तिष्क में ऑक्सीजन बढ़ाकर एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता प्रदान करता है शरीर को डिटॉक्स करता है और ऊर्जा स्तर बढ़ाता है। वहीं अनुलोम विलोम प्राणायाम मस्तिष्क में ऑक्सीजन प्रवाह बढ़ाता है, जिससे एकाग्रता और मानसिक शांति में सुधार होता है। यह प्राणायाम तनाव, चिंता और अनिद्रा को कम करता है, नाड़ियों (ऊर्जा चैनल) को शुद्ध करता है, जिससे प्राण ऊर्जा संतुलित होती है। कहा कि यह रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है साथ हीं श्वसन तंत्र को भी मजबूत करता है। बताया कि इसी तरह भ्रामरी प्राणायाम करने से तनाव, चिंता और क्रोध को कम कम होता है, नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है, अनिद्रा में लाभकारी है। यह प्राणायाम एकाग्रता और ध्यान को भी बढ़ाता है। थायरॉइड ग्रंथि को संतुलित करता है। उन्होंने बताया भ्रामरी मस्तिष्क को शांत करता है और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। बताया इसी तरह से उज्जाई, शीतली, शीतकारी, अग्निसार इत्यादि प्राणायाम के नित्य अभ्यास से लोग फेफड़ों की क्षमता, रक्त संचार, और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार, रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य का नियंत्रण। तनाव, चिंता, और अवसाद में कमी। एकाग्रता, स्मृति और मानसिक स्पष्टता में वृद्धि का लाभ ले सकता है व्याधियों से मुक्त हो सकता है। कहा आध्यात्मिक रूप से प्राणायाम चक्रों को सक्रिय करता है, प्राण ऊर्जा को संतुलित करता है, और ध्यान में गहराई लाता है। उन्होंने कहा कि प्राणायाम हमेशा नित्य क्रिया कर शांत और स्वच्छ वातावरण में हीं करना चाहिए। जब करें खाली पेट या भोजन के 2-3 घंटे बाद अभ्यास करें। शुरुआत में 2-5 मिनट से शुरू करें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं। रीढ़ सीधी रखें और सुखासन, पद्मासन, सिद्धासन या वज्रासन में बैठें कर प्राणायाम करे। बताया जब भी करें प्रशिक्षित योग गुरु के मार्गदर्शन में हीं शुरू करें। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, गर्भावस्था, या श्वसन समस्याओं में चिकित्सक से सलाह लें कुछ सावधानी रखें आहिस्ता आहिस्ता करें। उनके प्राणायाम कराने के ढंग से लोग बहुत प्रभावित हुए इसे जीवन में उतारने का संकल्प भी लिया। कार्यक्रम सिंहासन, हास्यासन और प्रार्थना के। बाद समाप्त हुआ। प्राणायाम के बाद लोगों ने प्रखंड परिसर में बन रहे वाटिका में अपने अपने नाम से कई लाभकारी वृक्ष भी लगाए।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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