संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता
रांची: झारखंड सरकार ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास के मद्देनज़र कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं। सरकार ने आयोग से केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की पुरज़ोर वकालत की है। इसके अतिरिक्त, राज्य ने वन क्षेत्र के वेटेज को 10% से बढ़ाकर 12.5% करने और राज्यों के बीच आमदनी के अंतर को पाटने हेतु 50% वेटेज निर्धारित करने की मांग की है।सरकार का कहना है कि झारखंड जैसे खनिज-समृद्ध लेकिन आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों को न्यायसंगत हिस्सेदारी मिलनी चाहिए ताकि वे अपनी विकास योजनाओं को प्रभावी रूप से कार्यान्वित कर सकें।
अनुदान की भारी मांग: ₹3.03 लाख करोड़ का प्रस्ताव
राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों और परियोजनाओं के लिए कुल ₹3.03 लाख करोड़ के अनुदान की मांग की है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, सिंचाई, ग्रामीण विकास और सामाजिक सुरक्षा जैसी प्राथमिकताओं को विशेष स्थान दिया गया है।
2030 तक ₹10 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य
प्रस्तुति के दौरान झारखंड सरकार ने वित्त आयोग को यह भी अवगत कराया कि मौजूदा विकास गति को बनाए रखते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2029-30 तक ₹10 लाख करोड़ के स्तर को पार कर सकती है। यह अनुमान राज्य के उद्योग, खनन, कृषि और सेवा क्षेत्र में संभावित विकास को ध्यान में रखकर किया गया है।
वन क्षेत्र को मिले उचित महत्व
झारखंड का एक बड़ा हिस्सा वन क्षेत्र से आच्छादित है, जिसकी वजह से राज्य को औद्योगीकरण और शहरीकरण में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसी कारण सरकार ने वन क्षेत्र के लिए अधिक वेटेज की मांग की है ताकि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की जिम्मेदारी निभाने वाले राज्यों को उचित वित्तीय समर्थन मिल सके।