वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाओं के लिए दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन का पर्व
संथाल हूल एक्सप्रेस राँची डेस्क
आज, वट सावित्री व्रत का पावन अवसर है, जो विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। व्रत का पालन करने वाली महिलाएं इस दिन उपवास रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं।
### धार्मिक महत्व
वट सावित्री व्रत का मुख्य उद्देश्य पति के जीवन की लंबाई और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करना है। विवाहित महिलाएं इस दिन वट वृक्ष के चारों ओर परिक्रमा करती हैं और उसकी छाया में पति के लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन विशेष रूप से वट वृक्ष को जल और श्रृंगार वस्त्रों से सजाया जाता है।
### तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि आज, 27 मई को दोपहर 12:11 बजे से प्रारंभ होगी और इसका समापन 27 मई को सुबह 8:31 बजे होगा। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:54 बजे से दोपहर 12:42 बजे तक रहेगा। यह समय व्रत और पूजा के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है।
### पूजा विधि
1. **सफाई और तैयारी:** व्रत के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
2. **वट वृक्ष की पूजा:** वट वृक्ष की जड़ में जल, दूध, और मधु का अभिषेक करें। इसके बाद, उसे चूने और चश्मे से सजाएं।
3. **सूर्य को अर्घ्य:** पूजा के पश्चात, सूर्य को अर्घ्य देकर पति के लिए लंबी उम्र की कामना करें।
4. **परिक्रमा:** वट वृक्ष के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करें और इस दौरान पति के लिए मंगलकामना करें।
वट सावित्री व्रत एक ऐसा पर्व है जो न केवल विवाहित महिलाओं के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि उनके पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि की प्रार्थना का भी अवसर प्रदान करता है। इस दिन की पूजा और उपवास से पति और पत्नी के संबंधों में और अधिक प्रेम एवं सम्मान बढ़ता है। सभी सुहागिनों को इस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!