लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि — लोकतंत्र के प्रहरी को नमन

संथाल हूल एक्सप्रेस (हिंदी दैनिक) का विशेष आलेख

साहिबगंज, 8 अक्टूबर:
देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी और “लोकनायक” के रूप में प्रसिद्ध जयप्रकाश नारायण जी की पुण्यतिथि पर आज पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ उन्हें याद किया जा रहा है।
संथाल हूल एक्सप्रेस (हिंदी दैनिक) ने इस अवसर पर उन्हें नमन करते हुए कहा —

“लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का जीवन भारतीय लोकतंत्र की आत्मा और जनशक्ति में अटूट विश्वास का प्रतीक है।”


???????? स्वतंत्रता संग्राम से जन आंदोलन तक

जयप्रकाश नारायण जी का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गाँव में हुआ था।
उन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई और महात्मा गांधी के सिद्धांतों से गहराई से प्रभावित हुए।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी उन्होंने सत्ता नहीं, बल्कि जनसेवा और सामाजिक न्याय को अपना जीवन उद्देश्य बनाया।


✊ “संपूर्ण क्रांति” के प्रणेता

1970 के दशक में जब देश आपातकाल की स्थिति से जूझ रहा था, तब जयप्रकाश नारायण ने “संपूर्ण क्रांति” (Total Revolution) का नारा देकर युवाओं, छात्रों और आम नागरिकों को एकजुट किया।
उनका यह आंदोलन भारतीय राजनीति के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ और लोकतंत्र को पुनः जीवनदान मिला।

उन्होंने कहा था —

“सत्ता जनता के हाथों में होनी चाहिए, किसी व्यक्ति या दल के नहीं।”

यह विचार आज भी भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की नींव को मजबूत करता है।


???? त्याग, आदर्श और जनविश्वास का प्रतीक

जयप्रकाश नारायण जी ने न कभी पद की चाह रखी, न ही व्यक्तिगत लाभ की।
उन्होंने जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और हमेशा सत्य, अहिंसा और लोकशक्ति में विश्वास किया।
उनका जीवन हमें सिखाता है कि राजनीति का अर्थ सेवा है, सत्ता नहीं।


????️ संथाल हूल एक्सप्रेस का संपादकीय संदेश

“जयप्रकाश नारायण जी का जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि सच्चा लोकतंत्र तब ही जीवित रह सकता है जब जनता जागरूक, संगठित और सत्यनिष्ठ हो।
उनकी ‘संपूर्ण क्रांति’ आज भी हर पीढ़ी के लिए विचार का दीपक है।”

देशभर में आज उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभाएँ, विचार गोष्ठियाँ और युवाओं के बीच संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें उनके आदर्शों और विचारों को याद किया जा रहा है।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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