जितिया 14 को, संतान की सुखमय जीवन के लिए माताएं करेंगी 24 घंटे उपवास

सनातन धर्म में अपने बच्चों की सुखमय जीवन के लिए माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखती है जिसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। जितिया अश्विन मास के पितृपक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए उपवास रखा जाता है। इसे कठिनतम व्रतों में से एक माना जाता है। इस वक्त के पारण के दिन घरों में अरवा चावल का भात चने या मूंग की दाल और झिंगी, कंदा पोइसाग, केला की सब्जियां घी के द्वारा बनाई जाती है और यह भोग जीतवाहन को और घर के पितरों को लगाया जाता है सजे बाद घरवाले इसे ग्रहण करते है । यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और इसमें नहाय-खाय से लेकर निर्जल उपवास और पारण तक की परंपरा निभाई जाती है। पं कुंतलेश पाण्डेय ने बताया कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 14 सितंबर रविवार को सुबह 05 बजकर 04 मिनट से होगी और इसका समापन 15 सितंबर सोमवार को सुबह 03 बजकर 06 मिनट पर होगा। 13 सितंबर शनिवार को नहाय-खाय के साथ होगा। इसके बाद 14 सितंबर रविवार को महिलाएं पूजा अर्चना कर उपवास करेंगी और अगले दिन यानी 15 सितंबर सोमवार को व्रत का पारण कर व्रत संपन्न करेंगी ।

जितिया व्रत कथा सुनने की है परम्परा
जीमूतवाहन नामक एक राजा ने एक स्त्री के पुत्र को बचाने के लिए स्वयं को गरुड़ देव के भोजन के रूप में प्रस्तुत कर दिया। उनकी यह निःस्वार्थ भावना देखकर गरुड़ प्रसन्न हो गए और उन्हें वैकुंठ जाने का आशीर्वाद दिया। साथ ही उन्होंने अन्य बच्चों को भी पुनर्जीवित कर दिया। तभी से यह परंपरा प्रारंभ हुई कि माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए जीमूतवाहन देवता की आराधना करते हुए यह उपवास रखती हैं। इस व्रत से एक दिन पहले नहाय-खाय की परंपरा निभाई जाती है। इस दिन महिलाएं सात्विक भोजन बनाकर पितरों और पक्षियों को अर्पित करती हैं।व्रत के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके महिलाएं निर्जल उपवास का संकल्प लेती हैं।पूजा के लिए घर के स्वच्छ स्थान पर गोबर और मिट्टी से लिपाई कर एक छोटा तालाब बनाया जाता है। उसमें कुशा से भगवान जीमूतवाहन की प्रतिमा स्थापित की जाती है।इसके साथ ही चील और सियारिन की प्रतिमाएं भी बनाई जाती हैं और उनकी पूजा की जाती है।व्रत कथा का श्रवण या पाठ करने के बाद अगले दिन पारण कर व्रत पूरा किया जाता है। इस समय भगवान जीमूतवाहन से संतान की लंबी उम्र और कल्याण की कामना की जाती है।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

Leave a Comment