रांची: पारस हॉस्पिटल एचईसी में स्माइल ट्रेन फाउंडेशन के माध्यम से कटे होंठ और कटे तालु का सर्जरी नि:शुल्क किया जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत सभी डिलीवरी प्वाइंट पर नवजात शिशुओं का देखभाल एवं स्कीनिंग किया जाता है। इस संबंध में शनिवार को पारस हॉस्पिटल एचईसी में कटे होंठ और कटे तालु से संबंधित नवजातों के प्रबंधन एवं इलाज तथा आरबीएसके के हॉस्पिटलों संबंधित एक सेमिनार को आयोजन किया गया। सेमिनार में 24 जिलों के नोडल अधिकारी और डॉक्टर्स मौजूद रहे। सेमिनार में नोडल अधिकारियों को कटे होंठ और कटे तालु वाले बच्चे को कैसे पहचाने, इसकी जानकरी प्रदान की गयी। क्योंकि कटे होंठ और कटे तालु एक जन्मजात विकृति है जो प्रत्येक 1000 जीवित जन्मों में से एक नवजात इस विकृति से ग्रसित होता है। सेमिनार में नोडल अधिकारियों और डॉक्टर्स ने कई सवाल पुछे, जिसका जबाब हॉस्पिटल प्रबंधन ने दिये। पारस हॉस्पिटल के डॉ. सोम रंजन पाठक ने सर्जरी के माध्यम से नि:शुल्क रूप से इलाज करने की बात कही। डॉ. विकास आंनद ने बच्चों के पोषण संबंधित जानकारी प्रदान की। डॉ. गुंजेश सिंह ने बच्चों को किसी प्रकार के ऑन्को से संबंधित बीमारियों से कैसे बचाते हैं, इस पर प्रकाश डाला।
पारस हॉस्पिटल के फैसिलिटी निदेशक डॉ नीतेश कुमार ने कहा कि पारस हॉस्पिटल में आयोजित इस सेमिनार के आयोजन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पहचाने और पारस हॉस्पिटल में कैसे उन्हें लाये एवं उनका नि:शुल्क सही तरीके से इलाज करें। हमने आरबीएसके परियोजना प्रबंधक से सभी जिलों के नोडल अधिकारियों/डॉक्टरों को हमारे अस्पताल आने के लिए आमंत्रित करने का अनुरोध किया था। क्योंकि हम स्माइल ट्रेन के तहत कटे होंठ और तालु की सर्जरी कर रहे हैं। ये नोडल अधिकारी-डॉक्टर मामलों को रेफर करते हैं जिससे बच्चों का इलाज होता हैं और इनके आत्मविश्वास को बल मिलता है l
पारस हॉस्पिटल एचईसी के मार्केटिंग हेड मानस लाभ ने कहा स्माइल ट्रेन फाउंडेशन और पारस हॉस्पिटल में एक साझेदारी के तहत कटे होंठ और कटे तालु से संबंधित नवजातों का इलाज नि:शुल्क किया जा रहा है। साथ ही आयुष्मान कार्ड के तहत भी मरीजों के इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
