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धर्मगुरुओं ने बाल विवाह मुक्त क्षेत्र बनाने को लेकर लिया संकल्प

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संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता।

उधवा: बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ अब धर्मगुरु भी जागरूकता फैलाने के लिए आगे आ रहे हैं। बुधवार को उधवा प्रखंड के दरगाह दंगा और सुतियाल पाड़ा इलाके में शिव मंदिर और मस्जिद के आसपास मंथन संस्थान की ओर से विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान हिंदू और मुस्लिम धर्मगुरुओं के बीच बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम को लेकर विचार-विमर्श किया गया। कार्यक्रम में मंथन संस्थान की सामुदायिक सामाजिक कार्यकर्ता शबनम परवीन ने बताया कि आज भी समाज में बाल विवाह को लेकर जानकारी की भारी कमी है। बहुत से लोगों को यह ज्ञात नहीं कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार यह एक दंडनीय अपराध है। इस कानून के तहत बाल विवाह में शामिल किसी भी व्यक्ति, चाहे बाराती, लड़की के पक्ष का सदस्य, कैटरर, डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड वाला, विवाह स्थल का मालिक या विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को दो वर्ष की सजा और जुर्माना हो सकता है। शबनम परवीन ने कहा कि धर्मगुरुओं का समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और यदि वे बाल विवाह के खिलाफ मुखर होंगे, तो इसका व्यापक असर होगा। जागरूकता अभियान के अंत में पुरोहितों और मौलवियों ने शपथ ली कि वे किसी भी स्थिति में बाल विवाह नहीं होने देंगे। धर्मगुरुओं ने भी इस बात पर सहमति जताई कि 18 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ विवाह और उसके बाद शारीरिक संबंध, कानून की नजर में बलात्कार की श्रेणी में आता है, जो पॉक्सो एक्ट के तहत दंडनीय है। इस पहल को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली और उम्मीद जताई जा रही है कि यह अभियान क्षेत्र को बाल विवाह मुक्त बनाने में एक मजबूत कदम साबित होगा।

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