संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता
दुमका : रक्तदान को महादान यूं ही नहीं कहा जाता, रक्तदान से कई मरीजों की जान तत्काल बचाई जा सकती है। वर्तमान में भले ही सभी लोग रक्तदान को लेकर इतने जागरूक न हो लेकिन दुमका जिले में कई ऐसे लोग हैं जो रक्तदान के महत्व को समझते हैं तथा अपना सर्वस्व समर्पण समाज की भलाई के लिये कर देते हैं। बताते चलें कि दुमका जिला के सरैयाहाट प्रखंड अंतर्गत हरोखा निवासी अनिल पडेया के महज 15 माह पुत्र आशीष थेलेसेमिया से पीड़ित रहने के कारण हीमोग्लोबिन मात्र 3.8 रह गया था, जो सदर अस्पताल दुमका मे इलाजरत था। जैसे ही यह जानकारी टिंकू को को मिली तो उन्होंने राजेश चौरसिया से सम्पर्क किया। राजेश चौरसिया ने इसकी जानकारी मनीष शर्मा को दी। मानवता की मिशाल के रूप में मनीष ब्लड बैंक आए और रक्तदान कर मरीज की जान बचाने में अपनी भूमिका निभाई और समाज के लिए एक संदेश दिया कि आपातकाल समय में रक्तदान करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। डॉक्टर ने बताया की मरीज का हीमोग्लोबिन काफ़ी कम है और तुरंत एक यूनिट बी नेगेटिव रक्त की आवश्यकता है।मरीज के परिजन रक्त की व्यवस्था कर पाने में असमर्थ थे। अतः मरीज के परिजन ने रक्तदान हेतु समाजसेवी टिंकू से संपर्क किया। रक्तदान के पश्चात मनीष ने कहा की 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को रक्तदान अवश्य करना चाहिए।लोगों की मदद करना ही मानवता का सबसे बड़ा धर्म है।
