पूर्व राज्यस्थान का निदेशक डॉ. राजकुमार अपने निलंबन के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। डॉ. राजकुमार ने कोर्ट में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश किए हैं और दावा किया है कि उनका निलंबन पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित और अनुचित है।
याचिका में उन्होंने निलंबन की प्रक्रिया को नियम विरुद्ध करार दिया है और न्याय के लिए कोर्ट से आवेदन किया है। उनका कहना है कि निलंबन के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं की। इसके अलावा, उन्होंने हाईकोर्ट से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
डॉ. राजकुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मेरे पास कई दस्तावेज हैं जो मेरी बेगुनाही को साबित करते हैं, लेकिन मैं किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं गया। मैं न्याय के लिए कोर्ट आया हूँ, मैं खुद एक पीड़ित हूँ।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्वास्थ्य मंत्री उनसे इस्तीफा मांगते, तो वे खुशी खुशी अपने पद से हट जाते।
उन्होंने अपने खिलाफ आरोपों को नकारते हुए कहा, “मैंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी गलत तरीके से पैसे नहीं कमाए। अगर मुझे ईमानदारी के लिए आरोपी ठहराया जाता है, तो यह वास्तव में गलत है।” डॉ. राजकुमार ने यह भी कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए मेडल और हेल्थ मैप के पेमेंट के लिए फाइलें भेजी गई थीं। इसके बावजूद, आरोप लगाने वाले व्यक्तियों द्वारा पेमेंट की जाने वाली जिम्मेदारी से भागा नहीं जा सकता।
उन्होंने मुस्लिम डेबेट में प्रशासन के अनुभव को बयान करते हुए कहा कि वह पिछले 18 वर्षों से कार्यरत रहे हैं और शिकार होने से बचने के लिए उनके पास कई प्रमाण भी हैं।
अब यह देखना होगा कि झारखंड हाईकोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और डॉ. राजकुमार को न्याय मिलता है या नहीं।
