कलकत्ता उच्च न्यायालय का चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर संतोष

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर पूर्ण संतोष व्यक्त करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश दिया। यह आदेश एक जनहित याचिका के जवाब में आया, जिसे माणिक फकीर उर्फ माणिक मंडल द्वारा दायर किया गया था। याचिका में यह मांग की गई थी कि भारत के चुनाव आयोग को नागरिकता का पूर्ण सत्यापन करने का निर्देश दिया जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया में अवैध रूप से भाग लेने वाले विदेशी नागरिकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।

याचिका में कहा गया था कि खासकर आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, निर्वाचित उम्मीदवारों की नागरिकता का सत्यापन अनिवार्य होना चाहिए। ये चुनाव मार्च और अप्रैल, 2026 के बीच होने की उम्मीद है, जिससे यह मुद्दा और भी प्रासंगिक हो गया है।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस संबंध में स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग की भूमिका चुनाव अधिसूचित होने पर शुरू होती है, और जब कोई उम्मीदवार नामांकन दाखिल करता है, तो उसके विवरणों का सत्यापन किया जाता है। याचिकाकर्ता ने एक नई प्रक्रिया लागू करने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्ति के दायरे में नहीं माना। अदालत ने कहा कि एक नई प्रक्रिया को लागू करने का निर्देश रिट कोर्ट द्वारा नहीं दिया जा सकता।

अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में पर्याप्त जांच और संतुलन मौजूद हैं। अगर कोई शिकायत पूरी तरह से प्रस्तुत की जाती है, तो निश्चित रूप से उसका जांच की जाएगी।

इसके अतिरिक्त, हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी नागरिक के लिए यह पूरी तरह से खुला है कि वे संसदीय या विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावी उम्मीदवारों के नामांकन की वैधता पर आपत्ति उठा सकते हैं।

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