चतरा में राइस मिल की स्थापना से किसानों के लिए जगी नई उम्मीद, विदेशों तक पहुंचेगा देशी चावल का स्वाद

शिव कुमार तिवारी, चतरा ब्यूरो
झारखंड के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार चतरा में विकास की नई किरण जागी है। जिले को जल्द ही पहला बड़ा निजी उद्योग—एक अत्याधुनिक राइस मिल—की सौगात मिलने जा रही है। यह राइस मिल न केवल स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगी, बल्कि चतरा के शुद्ध देशी चावल का स्वाद देश-विदेश तक पहुंचाएगी। इस पहल के पीछे दो युवा उद्यमियों—इंजीनियर भास्कर मिश्रा और उदय दांगी—की मेहनत और जुनून है, जिन्होंने अपनी मेहनत से जिले की तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया है।

उद्घाटन का भव्य आयोजन

आगामी 5 अप्रैल को सांसद कालीचरण सिंह इस राइस मिल का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर पूर्व मंत्री सत्यानंद भोक्ता, आधा दर्जन विधायक, डीसी रमेश घोलप, जिले के कारोबारी, अधिकारी और सैकड़ों किसान मौजूद रहेंगे। यह आयोजन चतरा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा, जो जिले में औद्योगिक विकास की नींव रखेगा।

लाखों का पैकेज छोड़ शुरू किया सपना

इस राइस मिल की कहानी प्रेरणादायक है। चतरा के भास्कर मिश्रा ने पुणे में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बड़ी कंपनी में लाखों रुपये का पैकेज हासिल किया था। लेकिन बड़े शहरों में काम करने वाले मजदूरों की बदहाली और किसानों की परेशानियों को देखकर उन्होंने नौकरी छोड़ अपने गृह जिले लौटने का फैसला किया। यहां अपने दोस्त उदय दांगी के साथ मिलकर उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए राइस मिल स्थापित करने का संकल्प लिया। लगभग 24 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस परियोजना में सरकार ने 40 प्रतिशत सब्सिडी देकर इन युवाओं के हौसले को बढ़ाया। तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद उनका सपना अब हकीकत में बदलने जा रहा है।

अत्याधुनिक तकनीक से लैस राइस मिल

चतरा शहर से सटे धमनियां के मिश्रौल में स्थापित इस राइस मिल का सफल ट्रायल जिला आपूर्ति पदाधिकारी मनिंदर भगत की मौजूदगी में पूरा हो चुका है। यह मिल जापानी तकनीक से सुसज्जित है और इसमें 12 टन प्रति घंटा चावल उत्पादन की क्षमता वाली मशीनें लगाई गई हैं। प्रतिदिन दो शिफ्ट में 200 टन चावल उत्पादन की तैयारी है। संचालकों का दावा है कि यह देश के सबसे आधुनिक राइस मिलों में से एक है। यहां तैयार चावल का निर्यात देश के साथ-साथ आधा दर्जन से अधिक विदेशों में किया जाएगा।

रोजगार और किसानों के लिए वरदान

इस राइस मिल से करीब एक हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों के साथ-साथ सैकड़ों स्थानीय मजदूर भी इससे जुड़ेंगे। चतरा में 36 सौ हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है और इस साल जिले में रिकॉर्ड 1,10,753 टन धान का उत्पादन हुआ है। अब तक किसान पैक्स या बिचौलियों पर निर्भर थे, जिससे उन्हें उचित दाम नहीं मिल पाता था। यह राइस मिल किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के साथ-साथ धान के बदले चावल लेने का विकल्प भी देगी।

धान क्रय की धांधली से मुक्ति

राइस मिल की स्थापना से किसानों को धान बिक्री में होने वाली धांधली से भी राहत मिलेगी। अब वे सीधे मिल में धान बेचकर सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य प्राप्त कर सकेंगे। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि सरकार को भी राजस्व में वृद्धि होगी। उद्यमी उदय दांगी ने कहा, “हमारा लक्ष्य किसानों को सशक्त बनाना और चतरा के चावल को वैश्विक पहचान दिलाना है।”

जिले में विकास की नई उम्मीद

चतरा जैसे पिछड़े जिले में इस तरह के निजी उद्योग की स्थापना से विकास की नई उम्मीद जगी है। यह पहल न केवल आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी, बल्कि युवाओं को भी अपने क्षेत्र में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित करेगी। भास्कर और उदय की यह जोड़ी न सिर्फ चतरा, बल्कि पूरे झारखंड के लिए एक मिसाल बन गई है।

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