संथाल हूल एक्सप्रेस डेस्क
रांची। राजधानी रांची में रिम्स-2 जमीन विवाद को लेकर बड़ा राजनीतिक टकराव सामने आया है। शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन नगड़ी पहुंचकर हल चलाने वाले थे। इससे पहले ही जिला प्रशासन ने उन्हें सुबह उनके रांची स्थित आवास पर हाउस अरेस्ट कर लिया। यह कार्रवाई सदर डीएसपी के नेतृत्व में की गई।
प्रदर्शन की तैयारी पर रोक
चंपाई सोरेन के नेतृत्व में रिम्स-2 परियोजना के खिलाफ हजारों ग्रामीणों के जुटने की संभावना थी। उनका कार्यक्रम प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर नगड़ी में हल चलाने का था। लेकिन प्रशासन ने प्रदर्शन स्थल तक पहुँचने से पहले ही उन्हें घर से बाहर निकलने से रोक दिया।
नेताओं की आवाजाही पर निगरानी
सिर्फ चंपाई सोरेन ही नहीं, बल्कि कई बड़े नेताओं को भी रिम्स-2 की जमीन तक जाने से रोका जा रहा है। प्रशासन ने साफ कहा है कि किसी भी कीमत पर माहौल बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।
भारी पुलिस बल की तैनाती
संभावित विरोध प्रदर्शन को देखते हुए नगड़ी और आसपास के इलाकों में महिला-पुरुष जवानों की भारी संख्या में तैनाती कर दी गई है। पुलिस को अलर्ट मोड पर रखा गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में तत्काल कार्रवाई की जा सके।
जमीन अधिग्रहण पर विवाद
रिम्स-2 के लिए प्रस्तावित जमीन अधिग्रहण को लेकर लंबे समय से स्थानीय ग्रामीण और कई संगठन विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कृषि योग्य भूमि को जबरन छीनी जा रही है। वहीं, सरकार का तर्क है कि रिम्स-2 बनने से स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा विस्तार होगा।
ग्रामीणों का बयान
गांव के एक बुजुर्ग किसान ने कहा— “हमारी जमीन ही हमारा सहारा है। सरकार अगर इसे छीन लेगी तो हमारे पास जीविका के लिए कुछ नहीं बचेगा। हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन खेत-खलिहान की बलि देकर विकास नहीं हो सकता।”
प्रशासन का पक्ष
जिला प्रशासन ने अपनी ओर से स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा— “रिम्स-2 परियोजना राज्यहित और जनहित से जुड़ी योजना है। लोगों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था हमारी प्राथमिकता है। इसलिए प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई। सरकार प्रभावित किसानों के हितों की रक्षा के लिए उचित मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था करेगी।”
राजनीतिक सरगर्मी तेज
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन द्वारा हल चलाने का ऐलान किए जाने के बाद इस विवाद ने और तूल पकड़ लिया है। उनके हाउस अरेस्ट के बाद झारखंड की राजनीति में नई हलचल मच गई है। विपक्ष इसे किसानों के हक पर हमला बता रहा है, जबकि प्रशासन इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने की कार्रवाई बता रहा है।
