राष्ट्रीय डाक दिवस: बदलते दौर में डाकघर की प्रासंगिकता और भरोसे की परंपरा

संथाल हूल एक्सप्रेस डेस्क

हर साल 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस (National Postal Day) मनाया जाता है। यह दिन उन डाक कर्मियों और डाक सेवाओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है जिन्होंने दशकों से हमारे समाज में संवाद, जुड़ाव और भरोसे की डोर को मजबूत बनाए रखा है।

आज जब संचार की दुनिया डिजिटल क्रांति से गुजर रही है, तब भी डाक विभाग (India Post) अपनी विश्वसनीयता, सरलता और जनसेवा भावना के कारण देश के सबसे भरोसेमंद संस्थानों में शामिल है।


???? डाकघर: एक संस्था नहीं, जन-जीवन की पहचान

भारत में डाकघर केवल चिट्ठियाँ पहुँचाने का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह ग्रामीण भारत की आर्थिक, सामाजिक और भावनात्मक कड़ी रहा है।
गाँव के डाकिया से लेकर शहर के डाक विभाग तक, यह सेवा हर वर्ग के लिए समान रूप से उपलब्ध रही है।

“कितना वीरान सा लगता ये डाकघर है,
किसी दिन ये बंद न हो जाए इसका डर है।”

यह भावनाएँ आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं — क्योंकि डाकघर सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि यादों और संबंधों का पुल है।


????️ परंपरा से तकनीक तक का सफर

भारत में डाक सेवा का इतिहास 1854 से शुरू होता है जब भारतीय डाक विभाग की नींव पड़ी।
आज यह दुनिया के सबसे बड़े डाक नेटवर्कों में से एक है, जो 1.5 लाख से अधिक डाकघरों के माध्यम से देश के हर कोने को जोड़ता है।

अब यह केवल पत्र वितरण तक सीमित नहीं, बल्कि

बैंकिंग सेवाएँ (India Post Payments Bank)

बीमा योजनाएँ (Postal Life Insurance)

ई-कॉमर्स पार्सल डिलीवरी

डिजिटल सेवाएँ (CSC सुविधा)
के रूप में देश के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है।


???? आधुनिक युग में डाक सेवा की भूमिका

आज भले ही ईमेल, सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप्स ने पत्रों की जगह ले ली हो, परंतु डाक सेवा अब भी विश्वसनीय दस्तावेज़, सरकारी पत्राचार, ग्रामीण वित्तीय सेवाओं और पार्सल डिलीवरी में अपरिहार्य है।
ग्राम्य भारत में अब भी “पोस्टमैन” लोगों के लिए सिर्फ संदेशवाहक नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं और सूचना के दूत हैं।

???? ग्रामीण भारत में भरोसे की रेखा

संथाल परगना जैसे ग्रामीण इलाकों में डाकघर आज भी

वृद्धावस्था पेंशन,

जनधन खातों का संचालन,

मनरेगा मजदूरी भुगतान,

और ई-कॉमर्स डिलीवरी
में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

राष्ट्रीय डाक दिवस हमें याद दिलाता है कि समय भले बदल जाए, लेकिन विश्वास, समर्पण और सेवा की भावना कभी पुरानी नहीं होती।
डाक विभाग आज भी देश के हर कोने में “दिल से दिल तक पहुँचाने वाली सेवा” के रूप में जीवित है।

“डिजिटल युग में भी डाक सेवा का अर्थ — भरोसा, भावनाएँ और भारत की आत्मा।”

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Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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