रांची। झारखंड सरकार ने अनियमित रूप से नियुक्त कर्मियों की सेवा नियमितीकरण को लेकर बड़ा कदम उठाया है। वित्त विभाग ने इसके लिए विशेष पहल की है और एक सितंबर को वित्त विभाग के संयुक्त सचिव राजेश बाखला द्वारा आदेश जारी किया गया। जारी आदेश के अनुसार वित्त विभाग के पांच अधिकारियों को विभिन्न विभागों से जुड़े नियमितीकरण संबंधी मामलों में प्राधिकृत किया गया है। ये अधिकारी संबंधित विभागों द्वारा बुलाई जाने वाली बैठक में शामिल रहेंगे। विभागों को निर्देश दिया गया है कि बैठक की सूचना नामित अधिकारी को कम से कम तीन दिन पहले देनी होगी।
सूत्रों के अनुसार सरकार का जोर मुख्य रूप से स्वीकृत और रिक्त पदों पर कार्यरत अनियमित, संविदा, आउटसोर्स या दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के नियमितीकरण पर है। अंतिम निर्णय इन्हीं कर्मियों की सेवा को नियमित करने पर केंद्रित होगा। माना जा रहा है कि इस पहल से राज्य में कार्यरत लगभग एक लाख से अधिक कर्मियों को लाभ मिल सकता है। ऐसे में इस बार उनकी दीवाली सचमुच रोशन हो सकती है।
किस अधिकारी को किस विभाग की जिम्मेदारी
पंकज कुमार सिंह, संयुक्त सचिव मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, परिवहन विभाग, निर्वाचन विभाग। कौशल किशोर झा, संयुक्त सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय, राज्यपाल सचिवालय, वन एवं पर्यावरण विभाग, झारखंड लोक सेवा आयोग, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, कृषि एवं पशुपालन विभाग। राजेश बाखला, संयुक्त सचिव गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग, राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेंस विभाग, उद्योग विभाग, अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग। अनिल कुमार यादव, उप सचिव कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग, ऊर्जा विभाग, पथ निर्माण विभाग, भवन निर्माण विभाग एवं ग्रामीण कार्य विभाग।
डॉ. ज्योति कुमारी झा, उप सचिव महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले विभाग, विधि विभाग।
मनोज कुमार पाठक जल संसाधन विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग, श्रम नियोजन प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग, योजना एवं विकास विभाग तथा उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग। सरकार की इस पहल से लंबे समय से नियमितीकरण की प्रतीक्षा कर रहे कर्मियों में उत्साह है और अब सभी की निगाहें आगामी बैठकों और निर्णय पर टिकी हैं।