बोकारो, झारखंड: झारखंड के बोकारो जिले की छह छात्राओं ने आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल पेश करते हुए एक ऐसा स्टार्टअप स्थापित किया है, जो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार कर रहा है, बल्कि आसपास की ग्रामीण महिलाएं और अन्य लड़कियों के लिए भी रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहा है। ये छात्राएं पूजा, अपर्णा, रानी, दीपिका, उषा और प्रीति हैं, जिन्होंने “एआरडी इलेक्ट्रिकल बोकारो” नामक एक कंपनी की शुरुआत की है।
प्रशिक्षण का आधार
इन छात्राओं ने अपना सफर राजकीय प्लस टू उच्च विद्यालय, दांतू से शुरू किया था, जहाँ उन्हें एलईडी बल्ब बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण मिला। इस प्रशिक्षण से मिली प्रेरणा के परिणामस्वरूप, सभी ने मिलकर अपने विचार को एक व्यावसायिक रूप देने का निर्णय किया। इसके बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई जारी रखी और अपने स्टार्टअप को बढ़ावा देने का मन बनाया।
स्टार्टअप की शुरुआत और उत्पाद विकास
“एआरडी इलेक्ट्रिकल बोकारो” के तहत, छात्राएं एलईडी बल्ब बनाने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने अन्य छात्राओं और महिलाओं को भी इस हुनर से प्रशिक्षित करने का कार्य शुरू किया, जिससे अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें।
2023 में, सभी छात्राओं ने जयपुर में एक इंटर्नशिप की, जहां उन्होंने उत्पाद निर्माण, मार्केटिंग और ब्रांडिंग के महत्वपूर्ण पहलुओं को सीखा। अपनी आपसी सहयोग से उन्होंने बल्ब बनाने के लिए ज़रूरी सामग्रियाँ जैसे बेस, हाउसिंग, ड्राइवर, एलईडी पैनल और डिफ्यूज़र इकट्ठा किया और अपने घरों में काम शुरू किया।
आर्थिक सफलता और आत्मनिर्भरता
छात्राओं ने बताया कि एक एलईडी बल्ब बनाने में मात्र 5 से 10 मिनट का समय लगता है और कीमत 60 रुपये से लेकर 500 रुपये तक निर्धारित की गई है। इससे प्रत्येक छात्रा को हर महीने 5 से 7 हजार रुपये की आय हो रही है, जो उनकी शिक्षा और घरेलू खर्चों में सहायक साबित हो रही है।
शिक्षा का प्रसार और सहयोग
इन छात्राओं ने अब अपने कॉलेजों और आस-पास की लड़कियों को भी एलईडी बल्ब बनाना सिखाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, ग्रामीण महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायता कर रही हैं।
इस पहल की सराहना करते हुए बोकारो की उपायुक्त विजया जाधव ने कहा कि यह प्रयास महिलाओं के लिए प्रेरणा है। जनवरी 2025 में, छात्राओं ने झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक आइडिया पिचिंग प्रतियोगिता में भाग लिया और 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त की। इस फंड से दांतू गांव में कौशल विकास केंद्र की स्थापना की गई है।
नए रास्तों की खोज
गाँव की महिलाओं, जैसे माधुरी देवी और प्रमिला देवी ने इन छात्राओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि अब वे भी अपने हाथों से कुछ बनाने और बेचने के लिए उत्सुक हैं। उषा कुमारी ने भविष्य में कृषि अपशिष्ट और ई-कचरे से सम्बंधित नए परियोजनाओं पर काम करने की योजना भी बनाई है।