झारखंड इतिहास लेखन के प्रथम हस्ताक्षर थे डॉ. केशरी : डॉ. यू.एन. तिवारी



रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय (TRL Faculty) के स्नातकोत्तर नागपुरी विभाग में झारखंड आंदोलन में सांस्कृतिक और भाषाई चेतना के अग्रदूत, शिक्षाविद् स्व. डॉ. विशेश्वर प्रसाद केशरी की 92वीं जयंती श्रद्धा व सम्मान के साथ मनाई गई।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. बीरेन्द्र कुमार महतो ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रीझू नायक ने प्रस्तुत किया।
डॉ. बीपी केशरी : विराट व्यक्तित्व के धनी
विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश नन्द तिवारी ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा, “डॉ. बी.पी. केशरी झारखंड का इतिहास लिखने वाले पहले व्यक्ति थे। वे हजारों वर्षों में एक बार पैदा होने वाले विराट व्यक्तित्व थे।” उन्होंने कहा कि डॉ. रामदयाल मुंडा और डॉ. बीपी केशरी के प्रयास से ही वर्ष 1980 में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग की स्थापना संभव हो पाई। इसके बाद झारखंड आंदोलन को बौद्धिक और सांस्कृतिक आधार मिला।
झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका
मुंडारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनय मुंडा ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा, “आज जो झारखंड राज्य बना है, उसमें डॉ. बी.पी. केशरी जी की अमूल्य भूमिका रही है। उन्होंने झारखंडी अस्मिता और चेतना को जागृत किया।”
डॉ. कुमारी शशि ने कहा कि “टीआरएल विभाग का आज जो अस्तित्व है, वह डॉ. केशरी के प्रयासों का ही परिणाम है।”
बंधु भगत ने कहा, “डॉ. केशरी ‘मैं’ नहीं बल्कि ‘हम’ में विश्वास करते थे। उन्होंने जाति और धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर झारखंड की एकता के लिए काम किया।”
डॉ. दिनेश कुमार दिनमणि ने कहा, “डॉ. केशरी ने झारखंडी संस्कृति और झारखंडियत के जिस नजरिए को अपनाया, मैं भी उसी का अनुसरण करता हूँ।”
डॉ. सरस्वती गागराई ने बतौर शिष्या उनके साथ बिताए पलों को याद किया और कहा कि “डॉ. केशरी जीवंत और प्रेरणादायी व्यक्तित्व थे।”
साहित्यिक प्रस्तुतियाँ
कार्यक्रम में शोधार्थी विक्की मिंज ने अपनी नागपुरी कविता “बाबा केशरी दिन गुने राउर नागपुरी” का पाठ किया जबकि श्रीकांत गोप ने “टुकुर-टुकुर देखते” कविता प्रस्तुत की।
प्रमुख उपस्थिति
इस अवसर पर डॉ. गीता कुमारी सिंह, शकुंतला बेसरा, डॉ. बन्दे खलखो, डॉ. करम सिंह मुंडा, गुरुचरण पूर्ति, डॉ. नकुल कुमार, जलेश्वर महतो, आलोक कुमार, सोनू सपवार, तबरेज मंसूरी, अनुप गाड़ी, पंकज कुमार, नमिता पूनम, सीमा कुमारी, बुद्धेश्वर बड़ाईक सहित टीआरएल संकाय के नौ विभागों के शिक्षक, शोधार्थी व छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
