📍 संथाल हुल एक्सप्रेस डेस्क, रांची
राजधानी रांची के रातू रोड फ्लाईओवर के उद्घाटन से पहले ही राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई। एक ओर जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस ने इस फ्लाईओवर का नाम पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के अगुवा शिबू सोरेन के नाम पर रखने की मांग की, वहीं दूसरी ओर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
गडकरी ने किया फ्लाईओवर का उद्घाटन, नामकरण को लेकर छिड़ा विवाद
आज केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने रांची के महत्वपूर्ण रातू रोड फ्लाईओवर का उद्घाटन किया। उद्घाटन से पूर्व फ्लाईओवर के नामकरण को लेकर झामुमो और कांग्रेस की ओर से मांग उठी कि इसे “शिबू सोरेन फ्लाईओवर” नाम दिया जाए।
यह मर्यादा के खिलाफ है” – अर्जुन मुंडा
इस मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए अर्जुन मुंडा ने तीखे शब्दों में कहा:
“जब किसी स्थान या संस्था का नाम रखा जाता है, तो वह उसे स्मरण करने और श्रद्धांजलि देने के लिए होता है। एक जीवित व्यक्ति के नाम पर इस तरह की मांग करना ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी जीवित व्यक्ति की तस्वीर पर माला चढ़ाई जा रही हो।”
उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन की तबीयत खराब है और वे स्वयं उन्हें अस्पताल में देखकर आए हैं। इस समय सबसे ज़रूरी बात यह है कि उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाए, ना कि राजनीतिक लाभ के लिए उनका नाम उछाला जाए।
दिमाग खराब हो चुका है इन लोगों का” – तीखी टिप्पणी
अर्जुन मुंडा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“जो लोग इस तरह की मांग कर रहे हैं, उनका दिमाग खराब हो चुका है। यह एक प्रकार का छिछोरापन है और इससे झारखंड के संघर्षशील नेताओं की मर्यादा को ठेस पहुंचती है।”
उन्होंने संबंधित दलों से अपील की कि वे इस मांग को तर्क और परंपरा के आधार पर देखें, न कि भावनात्मक राजनीति के चश्मे से।
नामकरण को लेकर संवेदनशीलता ज़रूरी – राजनीतिक विश्लेषण
झारखंड जैसे संवेदनशील राज्य में जहां शिबू सोरेन जैसे नेता का गहरा प्रभाव रहा है, ऐसे में उनके नाम पर किसी भी सार्वजनिक संरचना का नामकरण राजनीतिक और सामाजिक रूप से बड़ा संकेत होता है। लेकिन अर्जुन मुंडा की यह बात कि जीवित व्यक्ति के नाम पर नामकरण करना परंपरा के विरुद्ध है, ने पूरे मामले को एक नया दृष्टिकोण दे दिया है। जहां एक ओर झारखंड में विकास के प्रतीक बनते जा रहे फ्लाईओवर्स की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर उनके नामकरण को लेकर राजनीतिक खींचतान भी तेज़ हो गई है।
शिबू सोरेन के प्रति सम्मान और शुभकामनाएं सभी दलों की ओर से आनी चाहिए, लेकिन नामकरण के सवाल को मर्यादा और परंपरा के दायरे में देखना जरूरी है, जैसा कि अर्जुन मुंडा ने स्पष्ट किया।
