
डॉ. रणजीत कुमार सिंह को मिला “पर्यावरण चैंपियन अवॉर्ड” – पूरे राज्य के लिए गर्व का क्षण
साहिबगंज | 6 जून 2025
जब पूरा विश्व 5 जून को पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ जागा, उसी दिन झारखंड की हरियाली से आच्छादित इस धरती ने भी एक नई हरित गाथा रच दी। मॉडल कॉलेज, राजमहल के प्राचार्य एवं समर्पित पर्यावरणविद् डॉ. रणजीत कुमार सिंह को भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून द्वारा “पर्यावरण चैंपियन अवॉर्ड 2025” से सम्मानित किया गया। यह गौरवशाली सम्मान उन्हें WII-NMCG प्रोजेक्ट के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए प्रदान किया गया।
अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस आयोजन की गरिमा को और भी विशिष्ट बनाया देश के प्रतिष्ठित पर्यावरण विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. संगीता अंगोम (वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण समन्वयक, WII-NMCG प्रोजेक्ट) द्वारा स्वागत भाषण एवं पुरस्कार के उद्देश्य से हुआ।
इसके पश्चात श्रीमती हेमलता खंडूरी (ईको-डेवलपमेंट ऑफिसर, WII-NMCG प्रोजेक्ट) ने प्रेरणादायी उद्बोधन दिया।
कार्यक्रम की सबसे भावनात्मक घड़ी तब आई जब चिपको आंदोलन की अंतिम सक्रिय कड़ी मानी जाने वाली श्रीमती सुदेशा देवी ने विशेष अतिथि के रूप में डॉ. सिंह को सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे श्री अनुरूप नौटियाल (संस्थापक, SDC फाउंडेशन), जिनके वक्तव्य ने सामाजिक चेतना को नई दिशा दी।
डॉ. सिंह – प्रकृति के प्रहरी
डॉ. रणजीत कुमार सिंह केवल एक शिक्षाविद् नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित एक सच्चे कर्मयोगी हैं। उन्होंने पर्यावरणीय शिक्षा को कक्षा से बाहर निकालकर व्यवहार और जीवनशैली में ढालने का कार्य किया। उनके नेतृत्व में मॉडल कॉलेज, राजमहल एक हरित परिसर के रूप में पहचान बना चुका है।
उनके नेतृत्व में संचालित प्रमुख गतिविधियाँ:
वृक्षारोपण अभियान और पर्यावरणीय काव्य गोष्ठियाँ
स्वच्छता और प्लास्टिक विरोधी जनजागरूकता कार्यक्रम
छात्र निबंध लेखन, विज्ञान प्रतियोगिताएँ और पारिस्थितिकी कार्यशालाएँ
उनका मूलमंत्र है —
“Think Green, Act Green” – सोच भी हरित, कर्म भी हरित।
“एक सम्मान नहीं, एक ज़िम्मेदारी”
“यह पुरस्कार मेरे लिए केवल सम्मान नहीं, बल्कि एक नई जिम्मेदारी है। हमें धरती से मिला हर उपहार — स्वच्छ हवा, निर्मल जल और हरियाली — लौटाना होगा। यह केवल सरकारों की नहीं, हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। आइए, एक पौधा लगाकर शुरुआत करें और प्लास्टिक को ‘ना’ कहें।”
— डॉ. रणजीत कुमार सिंह, सम्मान प्राप्त करते हुए।
उनका यह संदेश केवल एक नारा नहीं, बल्कि हर नागरिक के हृदय को छू जाने वाली हरित क्रांति की पुकार है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 – एक वैश्विक चेतना का पर्व
थीम: “प्लास्टिक प्रदूषण को हर कोने से मिटाओ – अब नहीं तो कभी नहीं”
मेज़बान देश: दक्षिण कोरिया
प्रारंभ: 1973, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा
आज: 150+ देशों में मनाया जाता है
चौंकाने वाले तथ्य:
हर वर्ष लगभग 400 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है
इनमें से 11 मिलियन टन महासागरों में चला जाता है
हम प्रतिदिन औसतन 5 ग्राम माइक्रोप्लास्टिक निगल रहे हैं
यदि यही स्थिति रही तो 2050 तक महासागरों में मछलियों से अधिक प्लास्टिक होगा!
यह दिवस जुड़ा है संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से:
SDG 12: जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन
SDG 13: जलवायु कार्रवाई
SDG 14: समुद्री जीवन की रक्षा
SDG 15: भूमि पारिस्थितिकी का संरक्षण
हम क्या कर सकते हैं:
सिंगल यूज़ प्लास्टिक से बचें
रिसायक्लिंग अपनाएँ
पौधे लगाएँ और सफाई अभियानों में भाग लें
पर्यावरण शिक्षा और जनजागरूकता बढ़ाएँ
डॉ. सिंह का अंतिम संदेश:
“हर व्यक्ति एक पर्यावरण योद्धा बन सकता है।
विश्व पर्यावरण दिवस केवल एक तारीख नहीं, एक दिशा है —
‘अब नहीं तो कभी नहीं!’
Say NO to Plastic, Say YES to Life!”
बधाई देने वाले में कुलपति
प्रो.(डॉ.) कुनुल कंदीर
डीसी हेमंत सती डीएफओ प्रबल गर्ग रामनिवास यादव आईएएस मनीष तिवारी डीएफओ अन्य ने बधाई दी और कहा ये साहिबगंज झारखंड व सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के लिए बड़ी उपलब्धि है
