संथाल हूल एक्सप्रेस सेंट्रल डेस्क
हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1826 में हिंदी भाषा में पहला अखबार ‘उदंत मार्तंड’ प्रकाशित हुआ था। यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है, जिसने भारतीय पत्रकारिता के क्षेत्र में एक नई दिशा दी।
‘उदंत मार्तंड’ का प्रकाशन
पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा संपादित ‘उदंत मार्तंड’ आठ पृष्ठों का एक साप्ताहिक अखबार था, जो हर मंगलवार को निकलता था। यह अखबार अपने समय की दमनकारी ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाना जाता था। इसके माध्यम से पाठकों को देश की राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं के बारे में जागरूक किया जाता था।
वर्तमान संदर्भ में महत्व
हालांकि ‘उदंत मार्तंड’ को सिर्फ 19 महीनों बाद, 19 दिसंबर 1827 को बंद कर दिया गया, लेकिन इसका महत्व आज भी अप्रतिम है। यह अखबार हिंदी पत्रकारिता की नींव रखने में सहायक सिद्ध हुआ और इसके संपादकीय ने हिंदी भाषा में सूचना और विचारों के आदान-प्रदान के नए द्वार खोले।
मौजूदा परिस्थितियों का असर
आज, डिजिटल युग में, हिंदी पत्रकारिता ने न केवल अपनी पहचान बनाई है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रही है। पत्रकारिता के नए रूप, जैसे ब्लॉग्स, ऑनलाइन समाचार पत्र, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, हिंदी भाषा में सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बना रहे हैं।
हिंदी पत्रकारिता दिवस केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि यह उन साहसी पत्रकारों की स्मृति और संघर्ष का प्रतीक है, जिन्होंने अपनी कलम से समाज में बदलाव लाने का साहस दिखाया। ‘उदंत मार्तंड’ की विरासत आज भी अनेक पत्रकारों को प्रेरित करती है, जो सच्चाई और स्वतंत्रता के पक्ष में अपनी आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
