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भारत एक बार फिर पाकिस्तान पर आर्थिक स्ट्राइक का लिख रहा है नया अध्याय

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संथाल हूल एक्सप्रेस सेंट्रल डेस्क

पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई का नया कदम उठाने के लिए तैयार है। भारत अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद आर्थिक स्ट्राइक की योजना बना रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय दबाव में ला कर FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल करना है। यह रणनीति न केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित करती है।

FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल करने का प्रयास

भारत द्वारा विदेशों में भेजे गए डेलिगेशन्स सक्रिय रूप से इस बात को प्रमाणित करने का प्रयास कर रहे हैं कि पाकिस्तान वैश्विक आर्थिक सहायता का इस्तेमाल आतंकवाद को सहयोग देने के लिए कर रहा है। FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में शामिल होने से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो सकती है, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।

रक्षा बजट पर भारत का दावा

भारत ने यह भी दावा किया है कि पाकिस्तान अपने रक्षा बजट पर 18% से ज्यादा खर्च कर रहा है, जो कि संघर्ष कर रहे देशों के लिए बेहद उच्च है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि पाकिस्तान आतंकवाद और सुरक्षा के मुद्दों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहा है, जबकि उसकी अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में, भारत का यह आरोप आगे की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है।

भारतीय नेतृत्व की प्रतिक्रिया

भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सभी संभव उपाय उठाएगा। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय सहयोग जुटाना और पाकिस्तान की गतिविधियों को उजागर करना भारत की प्राथमिकता है। वे लगातार संवाद और साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में एकजुट किया जा सके।

भारत की यह नए तरह की आर्थिक स्ट्राइक न केवल पाकिस्तान के लिए एक चुनौती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी इसका व्यापक स्तर पर असर हो सकता है। भारत का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आतंकवाद का वित्तपोषण करने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय रूप से अलग-थलग किया जाए और इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। जैसे-जैसे ये घटनाक्रम आगे बढ़ रहा है, वैश्विक समुदाय की प्रतिक्रिया और नेपाल में स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत के प्रयास कूटनीतिक स्तर पर कोई सकारात्मक परिणाम लाते हैं या नहीं।

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