पाकुड़ डेस्क
पाकुड़ जिले का कुमार कालीदास मेमोरियल (केकेएम) महाविद्यालय, जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रतिष्टित संस्थान माना जाता है, आज एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है – बदहाल सफाई व्यवस्था। कॉलेज की कक्षाएं इस कदर धूल से ढकी हुई हैं कि यह न केवल छात्रों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं, बल्कि पढ़ाई के अनुकूल माहौल को भी समाप्त कर रही हैं।
हाल के दिनों में कॉलेज के अंदर का दृश्य किसी भी आगंतुक के लिए निराशाजनक होता जा रहा है। गलियारों में उड़ती धूल, कक्षाओं के फर्श पर जमी मिट्टी, और डेस्क व कुर्सियों पर सदियों पुरानी धूल की परत, यह सब स्वच्छता के दावों को झूठा साबित कर रहा है। छात्रों के लिए इस स्थिति ने पढ़ाई करना मुश्किल बना दिया है, क्योंकि उन्हें धूल भरी हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, और अपनी किताबों और कॉपियों को इस गंदगी से बचाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं।
कॉलेज के एक छात्र, रवि, ने इस गंभीर मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “कक्षाओं में इतनी धूल है कि बैठना भी एक चुनौती बन गया है। थोड़ी देर बैठने के बाद ही हमारे कपड़े और हाथ धूल से भर जाते हैं। हमारी किताबें और कॉपियां खोलते समय यह और भी मुश्किल हो जाता है। अस्वस्थ और गंदे माहौल में पढ़ाई करने में हमें काफी कठिनाई हो रही है।”
जब कॉलेज के प्रधानाचार्य से इस समस्या के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सफाई कर्मियों की सीमित संख्या का हवाला दिया। उनका मानना था कि कॉलेज में स्वीकृत सफाई कर्मचारियों की संख्या आवश्यकता से बहुत कम है, जिससे कक्षाओं की नियमित सफाई करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। हालांकि, छात्रों का मानना है कि यदि कर्मचारियों की कमी है, तो मौजूदा कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन अधिक गंभीरता और कुशलता से भी कर सकते हैं।
इस पूरे मामले में कॉलेज प्रबंधन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। छात्रों और उनके अभिभावकों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को इस गंभीर मुद्दे पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और सफाई व्यवस्था को ठीक करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में इस प्रकार की लापरवाही न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि यह छात्रों के भविष्य और उनके स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ है।
