जल, जंगल, जमीन पर अब आर-पार की लड़ाई होगी” – चंपई सोरेन*
रांची विशेष संवाददाता / मनोज प्रसाद
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता चंपई सोरेन एक बार फिर जल, जंगल, जमीन के मुद्दे पर मुखर हो गये हैं। उन्होंने साफ कहा है कि नगड़ी की जमीन आदिवासियों की है और इसे किसी कीमत पर नहीं लेने दिया जाएगा। गुरुवार को विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन के बाहर उन्होंने कहा कि नगड़ी स्थित रिम्स-2 के पास 5 से 12 अक्टूबर तक आदिवासी महा दरबार आयोजित करने की घोषणा की।
पत्रकारों से बात करते हुए श्री सोरेन ने कहा, “अब हम रुकने वाले नहीं हैं। हमारी जमीन की रक्षा के लिए हम सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ेंगे। सीएनटी-एसपीटी एक्ट, वन अधिकार कानून जैसे कई संवैधानिक संरक्षण हमारे पास हैं। सरकार चाहे जितना भी दबाव बनाए, हम झुकेंगे नहीं।”
नगड़ी भूमि विवाद पर सरकार को चेतावनी—-
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नगड़ी की खेती योग्य जमीन को पूर्व में भी बिहार सरकार ने अधिग्रहण करने की कोशिश की थी, लेकिन जनता के विरोध के बाद उस समय सरकार को पीछे हटना पड़ा था। आज भी वही स्थिति है। सरकार को चाहिए कि वह जनता की आवाज सुने, न कि उसे दबाने की कोशिश करे।
चंपई सोरेन ने रैयतों के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर नाराजगी जताते हुए कहा कि, “जिन रैयतों ने अपनी जमीन की हिफाजत के लिए आवाज उठाई, उनके खिलाफ केस दर्ज कर दिया गया। यह सरासर अन्याय है। मैं मांग करता हूं कि इन एफआईआर को अविलंब वापस लिया जाए।”
“महादरबार में तय होगी आंदोलन की दिशा”—-
चंपई सोरेन ने स्पष्ट किया कि आदिवासी महादरबार केवल सभा नहीं, बल्कि एक बड़ा जन आंदोलन का मंच होगा। उन्होंने कहा, “5 से 12 अक्टूबर तक चलने वाले महादरबार में हजारों की संख्या में रैयत, बुद्धिजीवी, सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधि भाग लेंगे। वहीं से आगे की रणनीति तय की जाएगी।”
जनभावना के साथ खड़ा रहेगा आंदोलन—-
पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार को चेताते हुए कहा कि यदि नगड़ी की जमीन से छेड़छाड़ हुई, तो आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने यह भी कहा कि, “यह केवल जमीन का मामला नहीं, हमारी अस्मिता, हमारी पहचान और हमारे हक का सवाल है। हम पीछे नहीं हटेंगे।”
