खान सर – जहां बोरे में बिकते हैं मोबाइल! साहिबगंज का तीनपहाड़ व महाराजपुर फिर सुर्खियों में
मोबाइल चोरी का गढ़ साहिबगंज का महाराजपुर और तीनपहाड़, वायरल वीडियो ने फिर दिलाई याद
साहिबगंज। सोशल मीडिया पर एक वीडियो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें देश के मशहूर शिक्षक खान सर अपने चिर-परिचित अंदाज़ में साहिबगंज के एक छात्र से बातचीत करते हुए मजाक-मजाक में उस क्षेत्र की कड़वी सच्चाई उजागर करते हैं। वीडियो में साहिबगंज निवासी अमित कुमार पासवान बताते हैं कि उन्होंने खान इंस्टिट्यूट से पढ़ाई कर चार प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल की है। इनमें से दो परीक्षाओं में उनकी नियुक्ति भी पूरी हो चुकी है। इस पर खान सर ने छात्रों के सामने उनका परिचय कराते हुए हंसते हुए कहा देखो, सबको एक भी नौकरी नहीं मिल पा रही और इन्होंने चार-चार निकाल लिए। ऐसे लोग तो जाते में धरकर दाल रगड़ देते हैं, छाती पर धरकर। वायरल वीडियो में बातचीत के दौरान खान सर ने जब साहिबगंज का नाम सुना तो उन्होंने मजाकिया अंदाज़ में कहा साहिबगंज जहां उत्तर वाहिनी गंगा बहती है और तीनपहाड़ व महाराजपुर तो मशहूर है, स्टेशन के पीछे चोरी का बोरा-बोरा मोबाइल बिकता है। खान सर की यह टिप्पणी भले ही मजाकिया लहज़े में थी, लेकिन इसने एक बार फिर उस हकीकत को सामने ला दिया है, जिससे तीनपहाड़ और महाराजपुर लंबे समय से जूझ रहा है। स्थानीय लोग और पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि रेलवे स्टेशन और आसपास के क्षेत्रों में चोरी के मोबाइल की खरीद-बिक्री आम बात बन चुकी है। सस्ते दामों में बिकने वाले इन मोबाइलों ने न केवल अपराध को बढ़ावा दिया है, बल्कि साहिबगंज की पहचान को पूरे भारत में मोबाइल चोरी के गढ़ के रूप में बदनाम कर दिया है। हालांकि, इस वायरल वीडियो का एक सकारात्मक पहलू भी है। अमित पासवान की सफलता इस बात का सबूत है कि साहिबगंज जैसे पिछड़े और नकारात्मक पहचान वाले इलाकों से भी मेहनत और शिक्षा के दम पर सफलता पाई जा सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर क्षेत्र के युवाओं को रोजगार और शिक्षा की बेहतर सुविधा मिले तो तीनपहाड़ व महाराजपुर जैसे इलाकों की छवि बदल सकती है और यह क्षेत्र चोरी के मोबाइल नहीं बल्कि मेहनती युवाओं की पहचान से जाना जाएगा। एक ओर तीनपहाड़ की बदनामी जो चोरी के मोबाइल की वजह से भारत भर में चर्चा में है तो दूसरी ओर अमित पासवान जैसे युवाओं की सफलता जो शिक्षा और लगन से इस छवि को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता
जितेन्द्र सेन जिछु
