हाल ही में झारखंड के गढ़वा में सदर एसडीएम संजय पांडे की एक वीडियो क्लिप वायरल हुई है, जिसमें वह एक मुसहर परिवार के घर के निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए खुद कुदाल लेकर पहुंचे। इस घटना ने सोशल मीडिया पर तेजी से ध्यान आकर्षित किया और लोगों ने उनकी सराहना की।
संजय पांडे की यह पहल सिर्फ एक आवास निर्माण तक सीमित नहीं है। इन्होंने राम स्वरूप मुसहर नामक व्यक्ति के लिए नया मकान बनवाने की प्रक्रिया को शुरू किया, जो पहले बांस और पुरानी कपड़ों से बनी झोपड़ी में रहते थे। एसडीएम ने खुद नींव खोदने का काम किया और यह दिखाया कि प्रशासनिक अधिकारी केवल अपने कार्यालयों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सीधे जनता की समस्याओं को समझने के लिए उनके बीच जाकर कार्य कर सकते हैं।
इस प्रकार की गतिविधियों ने न केवल जनप्रतिनिधियों और अधिकारी वर्ग के बीच की दूरी को कम किया है, बल्कि आम नागरिकों में एक नई आशा भी जगाई है। SDM संजय पांडे ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार क्षेत्र के गरीब मजदूरों के साथ चाय पर चर्चा करके उनकी समस्याओं को सुना है। यह पहल “कॉफी विद SDM” के नाम से जानी जाती है, जिसमें वह विभिन्न समाज के लोगों को आमंत्रित करते हैं।
यह सरलता और सामाजिक समर्पण एसडीएम संजय पांडे की पहचान बन चुका है। वह न सिर्फ समाज के वंचित वर्ग के लोगों के साथ संवाद करते हैं बल्कि उनकी समस्याओं को सुनते हुए निराकरण के लिए ठोस कदम भी उठाते हैं। उनके द्वारा की गई गतिविधियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि समाज के हित में काम करने वाले अधिकारी समाज के वास्तविक नायक हैं।
झारखंड में SDM संजय पांडे की सक्रियता ने न केवल लोगों के दिलों में जगह बनाई है बल्कि यह दर्शाया है कि सरकारी अधिकारी कैसे अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निभा सकते हैं और समुदाय के विकास में योगदान कर सकते हैं। उनकी यह पहल राज्यों में प्रशासन के प्रति विश्वास और एकता का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती है।
