Search
Close this search box.

शोध की गुणवत्ता में लाया जाएगा सुधार: कुलपति

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

अच्छी पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित होने पर शोधार्थी किए जाएंगे पुरस्कृत

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

हजारीबाग : विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर चंद्र भूषण शर्मा ने मंगलवार को विश्वविद्यालय के अलग-अलग विभागों के शोधार्थियों से सीधी बात की। पूर्व निर्धारित समय दोपहर के ठीक 12:00 बजे कुलपति स्वामी विवेकानंद सभागार पहुंचे। उपस्थिति को देखकर कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में कुल 269 शोधार्थी पंजीकृत है जबकि यहां उतनी संख्या नहीं दिख रही है। कुलपति ने विश्वविद्यालय के शोध तथा पीएचडी थीसिस के स्तर पर असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की पहचान शोध से होती है। अतः शोध की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाएगा। कुलपति ने विद्यार्थियों को कहा कि आप समय-समय पर आलेख लिखे एवं स्तरीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाए। ख्याति प्राप्त शोध पत्रिका में प्रकाशित आलेख को पुरस्कृत करने की बात उन्होंने कही। बताया कि अलग-अलग विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठियों में जाकर भाग ले। यदि किसी स्तरीय संगोष्ठी में किसी शोधार्थी का पत्र स्वीकृत होता है और उसे किसी प्रकार का स्कॉलरशिप नहीं मिलता है, तो उसे संगोष्ठी में भाग लेने से संबंधित खर्च में सहयोग पर विचार किया जाएगा। शोधार्थियों ने बताया कि 6 महीना का कोर्स वर्क पूरा करने में दो वर्ष लग जाते हैं। इस पर कुलपति ने आश्वासन दिया कि अब यह 6 महीने से एक साल के भीतर पूर्ण होगा। कोर्स वर्क के अंक पत्र में अब दो क्रेडिट का भी उल्लेख होगा। प्रोफेसर चंद्र भूषण शर्मा ने बताया कि उन्हें प्लेगियारिज्म परीक्षण से संबंधित शिकायतें मिली है। यह जवाबदेही एक मैडम को दी गई है। अब एक दिन में प्लेगियारिज्म प्रतिवेदन प्राप्त होगा। अब शोध आलेख का भी प्लेगियारिज्म परीक्षण संभव होगा। बताया कि पीएचडी परिनियम से संबंधित बहुत से विषय है जो स्पष्ट नहीं है तथा लागू नहीं है। इससे भी शोधार्थियों को कठिनाई हो रही है। वह जल्द विद्वत परिषद की बैठक में इस समस्या का समाधान करेंगे। शोध संबंधी सभी कार्य शोध परिनियम के तहत ही संचालित किए जाएंगे। प्रोफेसर चंद्र भूषण शर्मा ने बताया कि वह शोधार्थियों के लिए शोध पर कुछ अच्छे व्याख्यान आयोजित करवाएंगे। कुलपति ने शोधार्थियों से विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का अधिक से अधिक उपयोग करने को कहा। लाइब्रेरी कार्ड से संबंधित शिकायत जल्द दूर कर दिया जाएगा। लाइब्रेरी में पठन-पाठन प्रशाल को वातानुकूलित किया जाएगा। पुस्तकालय के आसपास चाय आदि की व्यवस्था की जाएगी। विद्यार्थियों ने बताया कि केंद्रीय पुस्तकालय में किताबों की खरीद की आवश्यकता है। इस पर कुलपति ने बताया कि उनको जानकारी हुई है कि पिछले दिनों मात्र 18 पुस्तक खरीदे गए हैं। कुलपति ने महिला शोधार्थियों से विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहने की बात कही। बताया कि छात्रावास 12 महीना खुला रहेगा। अवकाश के समय भी किसी को जबरदस्ती खाली नहीं कराया जाएगा। महिला सुरक्षा कर्मी भी वहां होंगे। कुलपति ने बताया कि सभी शोधार्थियों का मोबाइल नंबर उनके मोबाइल में सुरक्षित रहेगा। शोधार्थी अपनी समस्या को लेकर सीधे कुलपति से बात करेंगे। कुलपति और शोधार्थियों के बीच किसी बाहरी को आने नहीं देना है। यह संवाद लगभग डेढ़ घंटे तक चला। शोधार्थी कुछ और भी कहना चाहते थे। इस पर कुलपति ने आश्वासन दिया कि वह अति शीघ्र शोधार्थियों से फिर मिलेंगे। शोधार्थियों के साथ संवाद के दरमियान एक समय कुलपति अचानक जानना चाहे की शिक्षा शास्त्र विभाग से कौन-कौन शोधार्थी यहां उपस्थित है। ज्ञात हो की कुलपति खुद शिक्षा शास्त्र विषय से हैं। इस पर उनको बताया गया की शिक्षा शास्त्र विभाग में शोध नहीं होते हैं। कुलपति ने आश्वासन दिया की बहुत जल्द ऐसे विषयों में भी पीएचडी शोध प्रारंभ की जाएगी। ज्ञात हो की कई बार विद्वत परिषद की बैठक में इस बात को उठाए जाने के बावजूद इस पर कोई ठोस पहल अब तक नहीं हुए हैं। बहरहाल विनोबा भावे विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थी आसपास के निजी विश्वविद्यालय में पीएचडी शोध करने को विवश है। शोध के क्षेत्र में नैक मूल्यांकन में कम अंक प्राप्त करने का यह भी एक प्रमुख कारण था। विवेकानंद सभागार में कुलपति-शोधार्थी सीधा संवाद आयोजित हुआ। लेकिन शोधार्थी कुलपति के वार्ता में संतुष्ट नहीं दिखे क्योंकि जो बातें शोधार्थी कुलपति को बताना चाह रहे थे वह बात नहीं हो पाया। शोधार्थी शोध के दौरान विभाग में होने वाले कठिनाई के बारे में बात करना चाह रहे थे। ताकि शोध कर में होने वाले कठिनाइयां को समाप्त किया जा सके।

Leave a Comment

और पढ़ें