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आदिवासी छात्र संघ और डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच एक महत्वपूर्ण वार्ता सम्पन्न हुई

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संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

रांची: आदिवासी छात्र संघ और डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच एक महत्वपूर्ण वार्ता सम्पन्न हुई इस वार्ता में कुलपति महोदय द्वारा छात्र संघ की प्रमुख मांगों पर सहमति व्यक्त की गई तथा उन पर समयबद्ध कार्रवाई का आश्वासन दिया गया।

वार्ता के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं

  1. जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में 11 शिक्षकों की नियुक्ति आगामी 20 दिनों के भीतर की जाएगी।
  2. क्लासरूम में पंखा एवं पेयजल की व्यवस्था अगले 2 दिनों में सुनिश्चित की जाएगी।
  3. कक्षा संचालन हेतु दो नए कक्ष, विश्वविद्यालय की नई इमारत में प्रदान किए जाएंगे।
  4. जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग हेतु नए भवन का डी.पी.आर. दो दिनों में तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा।
  5. अखाड़ा सुंदरीकरण के अंतर्गत शेड एवं स्टेज का निर्माण कार्य 20 दिनों में प्रारंभ किया जाएगा।
  6. विभागीय क्लासरूम में पार्टीशन का कार्य आगामी 2 दिनों में पूर्ण किया जाएगा।
  7. विश्वविद्यालय के सभी विभागों में शौचालयों की सफाई प्रतिदिन दो बार की जाएगी।
  8. सभी विभागों में पानी, लाइट एवं पंखे की व्यवस्था अगले 2 दिनों में सुनिश्चित की जाएगी।
  9. लाइब्रेरी में पुस्तकें, वाद्य यंत्र एवं वाद्य यंत्र सिखाने वाले शिक्षकों की व्यवस्था 20 दिनों में पूरी की जाएगी।
  10. क्लासरूम में प्रोजेक्टर की व्यवस्था भी 20 दिनों के भीतर सुनिश्चित की जाएगी।

कुलपति ने सभी मांगों को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र क्रियान्वयन का भरोसा दिलाया है।

यदि निर्धारित समय-सीमा के भीतर मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो आदिवासी छात्र संघ पुनः अनिश्चितकालीन बंदी का आह्वान करेगा।

यह आंदोलन केवल सुविधाओं की मांग नहीं, बल्कि आदिवासी विद्यार्थियों के शिक्षा के अधिकार और गरिमा की रक्षा का प्रतीक है।

आंदोलन में भाग लेने वाले प्रमुख साथी:
ACS केंद्रीय मीडिया प्रभारी सुमित उराँव,
DSPMU यूनिट अध्यक्ष विवेक तिर्की,
सचिव अमित टोप्पो,
रातू परखंड सचिव अमित टिग्गा,
कोषाध्यक्ष अनुज तिर्की,
बिंजल मिंज, अंजलि बड़ा, दिनेश उराँव, सीताराम उराँव, सुजीत कुमार बैथा, सोनी उराँव, कृष्णा हांसदा, खुशबू मिंज, अशोक उराँव, राजू मुर्मू, राजकुमार मुर्मू, सुमन, पुष्पा, अनीशा, बिनिता, राहुल कुजूर, रामबृत उराँव, सुनीता उराँव, फूलमनी उराँव, रोहित उराँव, वंदना उराँव, सिकंदर होन्होगा एवं सैकड़ों छात्र-छात्राओं की सक्रिय भूमिका रही।

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